पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की लगातार होती रहीं मुलाकातों की असल वजह क्या है? महागठबंधन के साथ आने से पहले भी नीतीश कभी कभार लालू के घर जाते रहे हैं। इधर हफ्ते में वे दो बार मुलाकात के लिए राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे थे। लेकिन, यह पहला मौका है, जब लालू यादव खुद गुरुवार को नीतीश के घर पहुंच गए। हफ्ते भर के अंदर अपनी-अपनी पार्टी के दोनों शीर्ष नेताओं की यह तीसरी मुलाकात है।
‘नीतीश कुमार की पार्टी टूट जाएगी। उनकी पार्टी के कई नेता एनडीए नेताओं के संपर्क में हैं’ यह दावा उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह और चिराग पासवान अक्सर करते रहे हैं। खुद नीतीश कुमार हाल के दिनों में कई मौकों पर बीजेपी के प्रति अपनी नजदीकी का एहसास कराते रहे हैं। इससे उन अटकलों को हवा मिलती रही है कि नीतीश कुमार का मन फिर डोल रहा है। ऐसी आशंका का पुख्ता आधार भी है। साल 2005 के पहले से ही बीजेपी के करीब रहे नीतीश ने लगातार 15 साल तक बीजेपी के साथ बिहार में सरकार चलाई है। पहली बार साल 2015 में उन्होंने बीजेपी से अलग होकर आरजेडी के साथ विधानसभा का चुनाव लड़ा और उनकी पार्टी को खासा कामयाबी भी मिली थी। आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के साथ बिहार में बने महागठबंधन के नेता के रूप में उन्होंने बिहार की फिर कमान संभाल ली।
हालांकि 2017 आते-आते उनका मन महागठबंधन से ऊब गया और उन्होंने महागठबंधन का साथ छोड़ कर बीजेपी का हाथ पकड़ लिया। यह रिश्ता साल 2022 तक ही चल पाया। नीतीश फिर पलट कर महागठबंधन के साथ हो गए। उन्हें सीएम की कुर्सी आरजेडी ने सौंप दी। तब नीतीश कुमार को इस बात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि इस खेल में उन्हें आगे किन मुश्किलात का सामना करना पड़ सकता है।
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