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अफसर और आम आदमी की ह’त्या में कानूनन फर्क नहीं, आनंद मोहन की रिहाई पर नीतीश सरकार की सफाई

पटना: पूर्व सांसद आनंद मोहन की जेल से रिहाई पर उठ रहे सवालों के बीच नीतीश सरकार ने सफाई दी है। बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आनंद मोहन की रिहाई के लिए जो नियमों में संशोधन किया गया, वो एक सामान्य कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया है। लोकसेवक (सरकारी कर्मचारी) और आम नागरिक की ह’त्या के मामले में कोई अंतर रखना सही नहीं है। इसी कारण जेल नियमों में बदलाव किया गया। बता दें कि डीएम जी कृष्णैया ह’त्याकांड में सजा काट रहे बाहुबली आनंद मोहन गुरुवार सुबह सहरसा जेल से रिहा हो गए।

अफसर और आम आदमी की हत्या में कानूनन फर्क नहीं, आनंद मोहन की रिहाई पर नीतीश सरकार की सफाई

बिहार की महागठबंधन सरकार द्वारा जेल नियमों में किए गए बदलाव पर सवाल उठ रहे हैं। आईएएस एसोसिएशन, जी कृष्णैया का परिवार और कुछ विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार से इस पर पुनर्विचार की मांग की जा रही है। बीजेपी का भी कहना है कि आनंद मोहन के बहाने नीतीश सरकार कुख्यात अपराधियों को जेल से बाहर निकलवा रही है। इस बीच बिहार सरकार की ओर से मामले पर सफाई दी गई है।

मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने गुरुवार को पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान आनंद मोहन मामले पर सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि कारा नियमों में जो संशोधन किया गया है वो एक सामान्य प्रक्रिया है। किसी को फायदा या नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से यह नहीं किया गया है। किसी लोकसेवक और आम नागरिक की ह’त्या के मामले में अंतर रखना सही नहीं है, इसको महसूस करते हुए नियम में बदलाव किया गया है। इसी के तहत आनंद मोहन को जेल से सारी शर्तों को पूरा करने के बाद रिहा किया गया।

सुबहानी ने मुख्य सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया कि बिहार में पिछले 6 सालों में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले ऐसे 698 कैदियों को समय-समय पर रिहा किया गया है।

सरकार ने क्या संशोधन किया?
कारा नियमावली, 2012 के तहत पहले ड्यूटी पर तैनात लोकसेवक यानी सरकारी कर्मचारी की हत्या के मामले को विशेष श्रेणी में रखा गया था। इन मामलों में सजा पाने वाले दोषियों को उम्रकैद होने पर ताउम्र जेल में ही रहना पड़ता था। आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की ह’त्या के दोषी पाए गए थे, ऐसे में पुराने नियमों के तहत उनकी रिहाई संभव नहीं थी। पिछले दिनों नीतीश सरकार ने कारा नियमावली में संधोधन कर ड्यूटी पर तैनात लोकसेवक की हत्या का विशेष प्रावधान हटा दिया।

इसके बाद सरकारी कर्मचारी का मर्डर और एक आम नागरिक की हत्या का मामले के दोषियों पर जेल के समान नियम लागू हो गए हैं। अब सभी तरह की हत्या के मामलों में जेल की शर्तें पूरा करने पर एक अवधि के बाद उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों को रिहा किया जा सकता है।

नीतीश सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका
यह मामला अब अदालत में पहुंच गया है। पटना हाईकोर्ट में कारा नियमों में संशोधन किए जाने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने नीतीश सरकार द्वारा जारी उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है, जिसमें जेल नियमावली में से ‘ड्यूटी पर तैनात लोकसेवक की हत्या’ का वाक्य हटाने का उल्लेख है। इसी संशोधन के बाद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हुआ था।

 

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