Press "Enter" to skip to content

नीतीश ने लालू से जो मांगा था; वही आज उपेंद्र कुशवाहा मांग रहे, 1994 को क्या हुआ था

जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पार्टी से पूरी तरह बगावत पर उतर आए हैं। उन्होंने मंगलवार को एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं पर जमकर निशाना साधा। कुशवाहा ने कहा कि 1994 में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव से जो हिस्सा मांगा था, वही हिस्सा वे आज मुख्यमंत्री से मांग रहे हैं। उपेंद्र ने 12 फरवरी 1994 को पटना के गांधी मैदान में हुई रैली का भी जिक्र किया। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि उस वक्त नीतीश ने लालू से किस हिस्सेदारी की मांग की थी। मगर आपको हम बताते हैं कि आखिर 1994 में हुआ क्या था।

नीतीश ने लालू से जो हिस्सा मांगा था; वही आज उपेंद्र कुशवाहा JDU से मांग रहे, जानें 12 फरवरी 1994 को क्या हुआ था

सबसे पहले तो यह जानते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा ने क्या कहा। मंगलवार को पत्रकारों ने जब कुशवाहा पूछा कि वे जेडीयू में किस तरह की हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि जो हिस्सा कभी लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को नहीं दिया था। जिस हिस्सेदारी की बात 12 फरवरी 1994 में पटना के गांधी मैदान में आयोजित रैली में नीतीश ने लालू से की थी। वो ही हिस्सा उपेंद्र कुशवाहा आज नीतीश से मांग रहा है। इस पर नीतीश को विचार करना चाहिए।

कुशवाहा ने कहा कि वे जो भी कह रहे हैं, पार्टी की मजबूती के लिए कह रहे हैं। इसके उन्हें उलट कहा जा रहा है कि जाना है तो चले जाइए। एक तरफ नीतीश कह रहे हैं कि कुशवाहा से प्रेम करते हैं। प्रेम का अर्थ है कि उसके नजदीक रहें। यह जो प्रेम है, उसमें कहा जा रहा है कि प्रेम करते हैं लेकिन तुम भाग जाओ। इस तरह के प्रेम का कोई अर्थ नहीं है।

12 फरवरी 1994 को गांधी मैदान में क्या हुआ था?

उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बयान में जिस तारीख का जिक्र किया है, वो बिहार की राजनीति में अहम मानी जाती है। साल 1994 की बात जब बिहार में जनता दल की सरकार थी और लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे। 12 फरवरी को पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान एक और इतिहास रचने जा रहा था। इसकी बेचैनी गांधी मैदान से कुछ दूरी पर स्थित एक अणे मार्ग में बैठे लालू के मन में साफ झलक रही थी। लालू के खास माने जाने वाले नीतीश कुमार कुर्मी चेतना रैली निकालने जा रहे थे। मगर उन्हें नहीं पता था कि उनका यह कदम अगले दो-ढाई दशक तक बिहार की राजनीति को पूरी तरह बदलने वाला साबित होगा।

दरअसल, बिहार में कई साल पहले ही कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दे चुके थे। 1994 में हवा उड़ी कि लालू यादव सरकार कुर्मी और कोईरी समाज को ओबीसी से बाहर करने की योजना बना रही है। नीतीश कुमार खुद कुर्मी जाति से हैं, इसलिए उन्हें यह बात नागवार गुजरी। उन्होंने कुर्मी और कोईरी समाज को एकजुट करना शुरू कर दिया। फिर 12 फरवरी को गांधी मैदान में रैली बुलाई, जिसमें बड़ी संख्या में कुर्मी और कोईरी समाज के लोग जुटे।

नीतीश की कुर्मी चेतना रैली लालू यादव की सत्ता पर सीधी चोट थी। यहीं से नीतीश ने अपनी राह अलग की और इसके आठ महीने बाद जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया। वही समता पार्टी आगे चलकर जेडीयू में बदली और करीब 10 साल के संघर्ष के बाद नीतीश कुमार ने लालू यादव के राज को सत्ता से बाहर कर दिया।

उपेंद्र कुशवाहा किस हिस्सेदारी की बात कर रहे?

ये तो बात लालू और नीतीश की हो गई, अब सवाल है कि उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू में किस हिस्सेदारी की बात कर रहे हैं। दरअसल, उपेंद्र ने इशारों-इशारों में यह बता दिया कि जेडीयू में कुशवाहा समाज को पर्याप्त सम्मान नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि बीते दो सालों में एमएलसी और राज्यसभा समेत कई चुनाव हुए। इनमें उन्होंने नीतीश कुमार और ललन सिंह को अति पिछड़ा वर्ग की उम्मीदवारी पर कई बार सुझाव दिए, मगर उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया। उपेंद्र का इशारों में यह आरोप है कि जेडीयू में कुशवाहा समाज के नेताओं को तरजीह नहीं दी जा रही है। इसी हिस्सेदारी की वे बातें कर रहे हैं।

Share This Article
More from BIHARMore posts in BIHAR »
More from PATNAMore posts in PATNA »
More from PoliticsMore posts in Politics »
More from STATEMore posts in STATE »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *