बिहार के कुढ़नी उपचुनाव में लड़ाकों की स्थिति बहुत हद तक साफ होने लगी है। महागठबंधन में यह सीट जदयू की झोली में गई और उसने अपने पुराने दिग्गज को मैदान में उतार दिया है। मनोज कुशवाहा जदयू से मंत्री रह चुके हैं।
मनोज कुशवाहा के मैदान में उतारने की घोषणा के साथ ही महागठबंधन ने अपना रणनीतिक पत्ता खोल दिया है। वे न केवल वहां से विधायक रहे हैं, बल्कि मंत्रीमंडल में भी शामिल रहे हैं। पटेल समाज पर उनकी पकड़ अच्छी है। अब बारी भाजपा व वीआईपी की है, जिसके उम्मीदवार की घोषणा अभी होनी बाकी है। भाजपा की स्थिति लगभग साफ है, बस औपचारिक घोषणा बाकी है। कुढ़नी में भाजपा अपने पुराने सिपाही के बूते लड़ाई लड़ने की तैयारी में है। वीआईपी को लेकर संशय बरकरार है।
वीआईपी ने घोषणा कर रखी है कि 16 नवंबर को उसका उम्मीदवार नामांकन पत्र दाखिल करेगा। उसने दूसरी बार साफ किया है कि यदि महागठबंधन या एनडीए में से कोई भी सहनी समाज के उम्मीदवार को मौका देता है तो वह समर्थन करेगी। एमआईएमआईएम उम्मीदवार अल्पसंख्यक वोट में सेंध लगा सकते हैं।
बाहरी बनाम भीतरी का नारा शुरू
पोस्टर वार के सहारे बाहरी बनाम कुढ़नी का बेटा की लड़ाई छिड़ गई है। एक संगठन के हवाले से इस आशय के पोस्टर लगाये गए हैं। सवाल है कि यदि बाहरी व भीतरी का मुद्दा उछाला जाता है तो फायदे में कौन रहेगा।
बोचहां का सबक कुढ़नी के लिए अहम
कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में एक बार फिर भाजपा के सांसद की परीक्षा होगी। बोचहां उपचुनाव का परिणाम कुढ़नी में अधिक होमवर्क करने का संकेत दे रहा है। सहनी समाज में सांसद की पैठ एक बार कसौटी पर है।
रुपये व श’राब से वोटरों को लुभाने से रोकने को टीम तैनात
उपचुनाव के लिए नामांकन शुरू होने के साथ ही वोटरों को श’राब, रुपये व अन्य चीजों से प्रभावित करने वाले तत्वों पर नकेल कसने के लिए तीन जगहों पर नौ मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है। टीम श’राब, हथि’यार, गो’ला-बारू’द के अलावा मतदाता को प्रभावित करने के लिए रुपये की आवाजाही पर नजर रखेगी। सभी टीम पांच दिसंबर तक कार्यरत रहेगी। वहीं, मतगणना स्थल की तलाश शुरू हो गई है। उप निर्वाचन अधिकारी सत्यप्रिय कुमार ने प्रस्तावित आरडीएस कॉलेज का जायजा लिया।
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