छत्तीसगढ़ के एक मात्र हॉट स्पॉट कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र को पूरी तरह सील कर दिए जाने से दूध के कारोबारियों को सड़क पर सैकड़ों लीटर दूध बहाना पड़ रहा है। कस्बे में दूधियों की आमद न होने देने से दूध का कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है। यहां प्रतिदिन करीब 1,500 लीटर दूध की खपत पर चपत लग गई है। जिला प्रशासन यहां दूध की आपूर्ति तो करा रहा है, लेकिन पैकेट वाले दूध का ही वितरण हो रहा है। इससे दुग्ध व्यवसायियों को दूध बेकार बहाना पड़ रहा है।
प्रशासन की टीम होम डिलिवरी के माध्यम से जरूरी सामानों की आपूर्ति घरों में कर रही है। इस सूची में दूध शामिल है, लेकिन केवल पैकेटवाले दूध के वितरण की ही अनुमति है। इसका सीधा असर जिलेभर के संचालित तबेलों पर भी पड़ा है।
50-60 मवेशियों वाले कई तबेलों के संचालकों के यहां प्रतिदिन 100 से 150 लीटर दूध बच रहा है। गाय हो या भैंस, दूध यदि नहीं दुहा गया, तो थनेला की बीमारी का खतरा है। ऐसे में ज्यादातर दुग्ध व्यवसायी दूध को या तो चिर-परिचतों को मुफ्त में बांट रहे या फिर मजबूर होकर सड़क पर बहा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में कोराना का शुक्रवार को एक नया केस आया है। अब तक कुल 37 संक्रमित हुए हैं, जिनमें से 30 ठीक हो चुके हैं। अब तक कुल 11386 सैंपल टेस्ट हुए हैं।
कोरोना की मार ने किसानों व पशुपालकों पर भी सितम ढाया है. कई पशुपालकों ने सैकड़ों लीटर दूध नाली में बहा दिया। कोरोना से पहले ओलावृष्टि से लेकर अतिवृष्टि ने किसानों की फसलों को बर्बाद कर दी है। वहीं गोपालकों के दूध को मेधा डेयरी द्वारा लेने से इन्कार के बाद अब स्थिति यह है कि दूध को 10 रुपये लीटर भी खरीदने वाला कोई नहीं है. लाचारी में गोपालक दूध को फेंक रहे हैं. हालांकि सरकार ने डेयरी और मिल्क फेडरेशन को दुग्ध उत्पादकों से दूध लेने का निर्देश दिया है.
Source: Jagran
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