बिहार के भागलपुर स्थित तिलका मांझी विश्वविद्यालय में सोमवार को विरोध प्रदर्शन का एक विहंगम नजारा दिखा। विश्वविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षक ढोल नगा़ड़ा बजाते कुलपति से मिलने आए। संघर्षशील अतिथि शिक्षक संघ द्वारा सोमवार को तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर स्थित प्रशासनिक भवन एवं स्नातकोत्तर विभागों में कुलपति खोजो अभियान चलाया गया। इस दौरान संघ के सदस्यों ने ढोल-नगाड़ा बजाया।
पारंपरिक अंदाज में प्रदर्शनकारी आवाज लगा रहे थे-
सुनो सुनो सुनो…भागलपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रसाद छह महीने से लापता हैं। जिन लोगों को मिल जाएं वे सूचना दें। उन्हें मुंहमांगा इनाम दिय जाएगा।
प्रदर्शनकारी फिर कहते हैं-
उनकी पांच फीट छह इंच है, वे मोटे हैं, रंग गेहुंआ है। जिन भाई बंधुओं को मिलें वे कृपया सूचित करने का कार्य करें।
कार्यक्रम का नेतृत्व संघ के सदस्य सौरभ झा कर रहे हैं। संघ द्वारा काफी समय से तिलकामांझी वि.वि. में स्थायी कुलपति की मांग की जा रही है। सौरभ ने बताया कि प्रभारी कुलपति काफी दिनों से नहीं आ रहे हैं। इसके चलते विश्वविद्यालय का काम बाधित हो रहा है।
कुलपति के नहीं होने से अतिथि शिक्षकों के साक्षात्कार का शेड्यूल जारी नहीं हो रहा है। कुलपति के हस्ताक्षर के लिए करीब आठ हजार प्रमाणपत्र लंबित पड़े हैं। प्रमाण पत्र के लिए छात्र यूनिवर्सिटी का चक्कर काट रहे हैं। कई प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलने के बाद छात्रों को डिग्री नहीं दे पा रहे हैं।
संघ के सदस्यों ने आरोप लगाया कि वि.वि. को स्थायी कुलपति नहीं मिलने से हर क्षेत्र में काम प्रभावित हो रहा है। कुलपति खोजो अभियान में संघ के डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ रोहित मिश्रा, डॉ प्रकाश कुमार, डॉ कपिल देव मंडल आदि मौजूद थे।
दरअसल, भागलपुर के तिलका मांझी विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति नहीं है। पूर्व कुलति के रिटायर हो जाने के बाद बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के कुलपति डॉ हनुमान प्रसाद पांडे को भागलपुर यूनिवर्सिटी की प्रभार दिया गया है। वे दो दो विश्वविद्यालय को संभाल नहीं पा रहे हैं। बताया यह भी जा रहा है कि कुलपति पांडे काफी दिनों से बीमार हैं। इसलिए करीब छे माह से वे विश्वविद्यालय नहीं गए हैं।
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