गाड़ियों के फिटनेस की जांच के लिए सरकार द्वारा स्वचालित परीक्षण स्टेशन (ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन / एटीएस) प्रदान करने की फिर से पहल की जाएगी. पूर्व में दो आवेदनों का चयन किया गया था, लेकिन स्टेशन खोलने की दिशा में कोई पहल न होने पर उनके आवेदन परिवहन मुख्यालय द्वारा रद्द कर दिए गए. इस कड़ी में ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन की स्थापना के लिए फिर से पहल की जाएगी.

सबसे पहले विभाग द्वारा इसे अपने स्तर से खोलने की तैयारी थी, लेकिन उसके बाद इसे पीपीपी मोड पर खोलने के लिए आवेदन लिए गए. आवेदन लेने के बाद एजेंसी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो विभाग फिर से जिलों में अपना सेंटर खोलने की तैयारी में है.

इस स्टेशन के बनने के बाद गाड़ियों के फिटनेस जांच में काफी सहूलियत होगी और पूरा काम पारदर्शी तरीके से होगा. डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि विभागीय स्तर पर इसकी पहल की जा रही है. इस स्टेशन के बनने के बाद गाड़ियों की फिटनेस जांच आसान हो जाएगी और इसकी जांच पर कोई सवाल नहीं उठा सकेगा.


जिले में दो लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन उनके द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई न करने पर विभाग द्वारा उनके आवेदन निरस्त कर दिए गए. इस स्टेशन के फायदे ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन बनने के बाद गाड़ियों के फिटनेस की जांच मशीन से की जाएगी.


एमवीआई राकेश रंजन ने बताया कि सरल शब्दों में कहें तो मरीज के पूरे बॉडी की जांच जिस तरह से सिटी स्कैन से होती है, ठीक इसी प्रकार गाड़ी के फिटनेस की जांच इस सेंटर पर होगी.


इसमें गाड़ी के जाते ही उसके टायर, बॉडी का एक-एक पार्ट, रंग, मजबूती सभी की पूरी तरह से जांच हो जाएगी. एक गाड़ी की जांच में 30 से 40 मिनट का समय लगेगा. इसके बाद पुराने जर्जर गाड़ियों को फिटनेस मिलना बंद हो जाएगा.

इस सेंटर की स्थापना को लेकर विभाग द्वारा नये सिरे से पहल की जा रही है. अभी वाहनों के फिटनेस जांच को लेकर गाड़ी को चलाकर, उसके बॉडी, इंजन की आवाज, प्रदूषण का मानक आदि जांच करने के बाद जारी किया जाता है.
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