बी. फार्म अभ्यर्थियों द्वारा बिहार फार्मासिस्ट संवर्ग (संशोधन) नियमावली 2024 में 12वीं के बाद बी. फार्म करने वाले छात्रों को फार्मासिस्ट पद के बहाली में शामिल नहीं करने के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन रैली निकाली गई। प्रदर्शन रैली में नियमावली के विरोध में काला बिल्ला लगाकर और बैनर पोस्टर के साथ बी. फार्म करने वाले सैकड़ों अभ्यर्थी शामिल हुए। बी-फार्म अभ्यर्थियों ने स्वास्थ्य विभाग से जल्द से जल्द नियमावली में सुधार करने की मांग की हैं।
बी. फार्म अभ्यर्थी रवि कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के ही वर्ष 1999, 2006 के नियमित फार्मासिस्ट बहाली और 2013 और 2016 के संविदा बहाली में लगभग 500 बी.फार्म फार्मासिस्ट बिहार के सरकारी अस्पतालों में नौकरी कर रहे है। अचानक से स्वास्थ्य विभाग द्वारा पटना हाई कोर्ट के पूर्ण पीठ के निदेश के बाद भी बीफार्म अभ्यर्थियों को शामिल न करना आश्चयर्जनक है।
बी. फार्म अभ्यर्थी रोनित कुमार सिंह ने बताया कि बिहार विधान सभा में नए नियम के संबंध में सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने यह बताया कि LPA 158/2020 में पारित आदेश के आधार यह नियम बनाया गया है। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिया गया जवाब पूर्णत गलत है क्योंकि LPA 158/2020 को सुप्रीम कोर्ट में SLP 4121/2023 द्वारा चुनौती दी गई थी तब बिहार सरकार ने यह दलील दिया था कि LPA 158/2020 का आदेश जिस विज्ञापन पर है उस विज्ञापन को रद्द कर दिया गया है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्च न्यायालय को पूर्ण पीठ बनाकर फार्मासिस्ट संवर्ग संबंधित मामलों को सुनने का आदेश दिया था।
जिसके बाद पटना उच्च न्यायालय द्वारा पूर्ण पीठ बनाकर केस को सुना गया। केस के सुनवाई के दौरान सरकार ने फिर से विज्ञापन वापसी लेने और नए नियमावली बनाने की बात कही तब पटना उच्च न्यायालय के पूर्णपीठ ने यह आदेश दिया कि सरकार द्वारा नया नियमावली बनाया जा रहा है अगर नए नियमावली में बी.फार्म अभ्यर्थियों को शामिल नहीं करती है तो पुनः पूर्णपीठ द्वारा मामलों को सुना जाएगा। पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा बी.फार्म को मौका न देना न्यायपूर्ण नहीं है।
छात्र रोनित कुमार सिंह ने बताया कि फार्मासिस्ट पद की बहाली फार्मेसी एक्ट 1948 के अनुसार होता है जिसमें राज्य फार्मेसी काउंसिल से निबंधित बी.फार्म और डी.फार्म सभी को योग्य माना जाता है लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक अनोखा नियम बनाया गया है जो पूरे देश के नियमावली से अलग है।
छात्र धनंजय कुमार ने स्वास्थ्य विभाग से सवाल किया कि अगर बी.फार्म अभ्यर्थी फार्मासिस्ट पद पर योग्य नहीं है तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा बिहार में सैकड़ों बी फार्म के कॉलेज खोलने की अनुमति क्यों है। वहीं छात्रों ने बताया कि अगर स्वास्थ्य विभाग उनकी मांगों को पूरा नहीं करती हैं तो नए साल में स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य मंत्री के आवास और बिहार विधानसभा का भी घेराव किया जाएगा और मांग नहीं माने जाने तक आंदोलन जारी रहेगा।
बिहार राज्य फार्मेसी काउंसिल के सदस्य अर्जेश राज श्रीवास्तव ने बताया कि फार्मेसी एक्ट 1948 और फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार फार्मासिस्ट पद पर 12वीं के बाद बी.फार्म और डी.फार्म दोनों योग्य होते है। साथ ही साथ बिहार सरकार द्वारा पीपीआर 2015 को लागू कर लिया गया जिसमें भी फार्मासिस्ट पद की योग्यता स्पष्ट रूप से दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रकाशित बिहार फार्मासिस्ट संवर्ग (संशोधन) नियमावली 2024 नियमानुकूल नहीं है। स्वास्थ्य विभाग इस नियमावली में बदलाव कर बी.फार्म अभ्यर्थियों को भी शमिल करना चाहिए।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन रैली में करण, अंशु, सवनीत,अमृत, करण, आशुतोष, विशाल, रौशन, अमरजीत, प्रेम कुमार, प्रकृति, भारती, रागिनी, काजल, विमल, गौरव, निशांत, साक्षी जायसवाल, खुशी, अभिषेक, सहित बिहार के विभिन्न बी फार्मा छात्र शामिल हुए।
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