मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजद के पाले में जाने की खबरें और लालू यादव के दरवाजा खुला ऑफर वाले बयान से बिहार की सियासत भीषण सर्दी के मौसम में गरमा गई है। उस पर तेजस्वी यादव के बयान पर तड़का लगाकर बीजेपी और जेडीयू के नेता लालू परिवार पर चुटकी ले रहे हैं। जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा है कि लालू यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद राष्ट्रीय जनता दल(आरजेडी) में दरकिनार किया जा रहा है। दूसरी ओर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने पलटवार किया है।दरअसल बुधवार को लालू प्रसाद यादव ने कहा कि नीतीश कुमार साथ आएं और काम करेंगे तो हम रख लेंगे और माफ कर देंगे। गुरुवार को बिहार के 42वें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के शपथ ग्रहण समारोह के बाद मीडिया कर्मियों ने तेजस्वी यादव से इस पर सवाल पूछा। जवाब में तेजस्वी ने कहा कि आप लोग सवाल पूछ रहते हैं तो ठंडा करने के लिए बोल दिए। नीतीश कुमार के लिए हमारे दरवाजे अब पूरी तरह से बंद हैं। लालू और तेजस्वी के अलग-अलग राय पर बीजेपी और जदयू दोनों ने राजद पर हमला कर दिया है।
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि लालू यादव की भावनाओं को तेजस्वी यादव दरकिनार कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल में राष्ट्रीय अध्यक्ष की क्या स्थिति है इसे देख लीजिए। उनकी भूमिका को कम कर दिया गया है। कलियुग है, यह सब चलते रहेगा। पिता कुछ बोल रहे, पुत्र कुछ और। जब हमलोग राजनैतिक रूप से नजरबंद करने की बात कहते हैं तो प्रतिक्रिया आ जाती है।
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा है कि राजद और लालू परिवार के लिए यह नई बात नहीं है। यूपी और बिहार की राजनीति कमोबेश एक जैसी चलती है। जब राजा बूढ़ा हो जाता है तो उसे हटा दिया जाता है। इतिहास अपने आप को बार बार दोहराता है। जैसा उत्तर प्रदेश में हुआ वह बिहार में भी हो सकता है। लालू जी की उम्र रिटायरमेंट की हो गई है। लालू यादव परिवारवादी राजनीति करते रहे हैं। तेजस्वी यादव को अभी अन्य फ्रंटों का सामना करना है। अभी लालू जी हैं, कभी भाई का मोर्चा खुलेगा फिर बहन का खुलेगा। अभी देखिए और क्या क्या होता है। परिवारवादी राजनीति का यही हश्र होता है।
इस पर पलटवार करते हुए राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बीजेपी और जदयू दोनों पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि भाषाई मर्यादा तोड़ी जा रही है। यह हम भी कर सकते हैं लेकिन हमारा संस्कार ऐसा नहीं है। लालू प्रसाद यादव राजनीति की खुली किताब हैं। जो उनके विरोधी हैं वे भी लालू प्रसाद के विश्वविद्यालय से ही राजनीति सीखे हैं। भाजपा तीन दशकों से उनसे लड़ाई नहीं लड़ पा रही है। बिहार की सत्ता एनडीए के हाथ से जा रही है तो छटपटा रहे हैं। अभी इंजेक्शन लगा कहां है?

लालू को नजरअंदाज कर रहे तेजस्वी, नीतीश के लिए दरवाजा बंद बयान पर BJP-JDU ने ली चुटकी
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