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बिहार के सरकारी स्कूलों में बच्चों को एमडीएम में मिलेगा गर्म दूध! जानें शिक्षा विभाग का प्लान

पटना : बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए मध्याह्न भोजन में गर्म दूध देने की योजना नीतीश सरकार ने बनाई थी। लेकिन अभी तक बच्चों को दूध देने पर सहमति नहीं बन सकी है। राज्य के 44 प्रखंडों के प्रारंभिक स्कूलों में बच्चों को सप्ताह में एक दिन गर्म दूध देने की योजना बनी थी, लेकि यह अपने मुकाम तक नहीं पहुंच सकी। इसको लेकर शिक्षा विभाग का निर्णय था कि जुलाई, 2024 से बच्चों को दूध मिलेगा। फिर इस योजना को शुरू करने की तिथि बढ़ाकर अक्टूबर-नवंबर की गयी। मगर इस पर कोई पहल अब नहीं हो रही है।

शिक्षा विभाग ने निर्धारित किया था कि एनजीओ के माध्यम से दूध की आपूर्ति बच्चों तक कराई जाएगी। विभाग ने एक दर्जन से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से शहरों में स्थित स्कूलों में दूध देने की कार्य योजना बनायी थी। संबंधित संस्थाओं को जिला भी आवंटित कर दिया गया था। मगर अपरिहार्य कारणों से इस योजना को जुलाई में नहीं शुरू कर इसकी तिथि को आगे बढ़ा दिया गया। इसके बाद से इस योजना पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। नवम्ब माह आधा बीत गया है लेकिन इस दिशा में कोई सार्थक पहल अबतक नहीं दिख रही है।

मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय ने लिखा था पत्र

मालूम हो कि मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय ने 15 मई, 2024 को चयनित संस्थाओं को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को 100 ग्राम तथा छह से आठ कक्षा के बच्चों को 150 ग्राम गर्म दूध मिलेगा। इसके लिए स्वयंसेवी संस्था की ओर से क्रमश 12 ग्राम एवं 18 ग्राम दूध पाउडर की आपूर्ति की जाएगी। केंद्रीयकृत किचन में दूध तैयार किया जाएगा और स्कूल में उसकी आपूर्ति की जाएगी। चरणवार अन्य प्रखंडों के स्कूलों में भी दूध की आपूर्ति कराने की भी बात थी। निदेशालय ने यह साफ किया था कि दूध की आपूर्ति में होने वाले सभी खर्च का वहन संबंधित स्वयंसेवी संस्थाएं करेंगी। इसके लिए अलग से कोई राशि नहीं मिलनी थी।

68 हजार स्कूलों में मध्याह्न भोजन दिया जा रहा

राज्य के 68 हजार प्रारंभिक (कक्षा एक से आठ) स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना संचालित हैं। इनमें करीब दस हजार स्कूलों में स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से बच्चों को पका-पकाया भोजन परोसा जाता है। वहीं, शेष स्कूलों में भोजन बनता है। इसके लिए स्कूलों में रसोइये कार्यरत हैं। इसी बीच शिक्षा विभाग ने राज्य के दस जिलों के 20 पंचायतों में नयी व्यवस्था बनायी है। इन 20 पंचायतों के स्कूलों में प्रधानाध्यापक को मध्याह्न भोजन योजना से अलग कर इस कार्य के लिए व्यवस्थापक नियुक्त करने का निर्देश जिलाधिकारियों को दिया गया है।

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