क्या बांग्लादेश पाकिस्तान की राह पर चल रहा है. वहां जिस तरह शेख हसीना सरकार का तख्तापलट किया गया और सेना की जो भूमिका सामने आई, उससे साफ हो गया है कि यह साजिश बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को हटाने की साजिश 6 महीने पहले से ही शुरू हो गई थी. इस साजिश में सेना के बड़े अधिकारियों से लेकर जमात-ए-इस्लामी शामिल था. इस पूरी तख्तापलट साजिश के लिए बाहरी देशों से लगातार फंडिंग हो रही थी. इन बाहरी ताकतों ने सेना और जमात-ए-इस्लामी का सहारा लेकर छात्रों के जरिए तख्तापलट को अंजाम दिया.
जानकारी के मुताबिक, जनवरी 2024 के बाद इस तख्तापलट की कहानी लिखनी शुरू हो गई थी. इस दौरान जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश सेना के कई बड़े अधिकारियों की आपस में बैठकें भी हुईं, जिसका पता शेख हसीना की खुफिया विंग नहीं लगा पाई. इसी साजिश के तहत बाहरी देशों ने अपने एजेंडे के तहत सेना और जमात-ए-इस्लामी के जरिए अपना निशाना साधा. छात्रों ने रिजर्वेशन के नाम पर जो दंगा फसाद शुरू किया था, संभवत उन्हें भी यह नहीं पता रहा होगा कि इसका अंत शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट से होगा.
आतंकी भी हुए इस आंदोलन में शामिल इस आंदोलन में धीरे-धीरे आतंकवादी संगठन शामिल होते चले गए और आंदोलन की कमान इन आतंकवादी संगठनों ने ही संभाल ली जिन्हें बाहरी देशों से लगातार पैसा मिल रहा था. सेना ने शेख हसीना को यह कहकर समझाया कि हम अपने ही लोगों पर गोली नहीं चलाएंगे और इस गोलीबारी से शेख हसीना की सरकार पलट सकती है क्योंकि गोलीबारी में सैकड़ो लोग मारे जाएंगे. संभवत शेख हसीना को भी यह विश्वास नहीं रहा होगा की फौज के जिन अफसरों की बात पर वह विश्वास करती चली आ रही हैं, वह उन्हें भी धोखा देंगे.
साजिश के तहत चला सबकुछ
एक साजिश के तहत ढाका चलो मार्च के बाद भी जब सरकार ने सोशल मीडिया को लेकर तमाम इंटरनेट की सुविधा ठप कर दी उसके बावजूद लगभग 5 लाख लोग इस तख्तापलट के लिए खड़े हो गए. सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से अनेक के पास खतरनाक हथियार भी थे और सेना ने उन्हें शेख हसीना के घर तक पहुंचने या उनके घर के अंदर घुसकर कोहराम मचाने तक कोई भी कदम नहीं उठाया. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो से साफ हो गया कि शेख हसीना का उनके घर में लगा दीवार पर फोटो खुद फौज के लोगों ने ही हटाया और इस दौरान उन्होंने अपना जोशे इजहार भी प्रकट किया.
सरकार सेना की पसंद की ही तय
यानी बांग्लादेश भी अब पाकिस्तान की राह पर चल चुका है. अब वहां की होने वाली कथित सरकार सेना की पसंद की ही तय मानी जा रही है. आने वाले कुछ ही दिनों में यह साफ हो जाएगा कि शेख हसीना की चलती सरकार को रोकने के लिए किन लोगों ने अड़ंगा लगाया था. उन्हें यह बहुत अच्छी तरह पता था कि शेख हसीना के शासनकाल में बांग्लादेश की जीडीपी से लेकर तमाम विकास योजनाएं समय पर पूरी हो रही थीं. वह नहीं चाहते थे कि शेख हसीना आने वाले दिनों में एक लोकप्रिय नेता के तौर पर अपना शासन आगे बढ़ा सके. यही कारण है कि बाहर बैठी विदेशी ताकतों ने उनके लोगों से मिलकर उनकी सरकार का तख्तापलट करा दिया.
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