पटना: 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बिहार के दोनों बड़े गठबंधन में पालेबंदी तेज है। जीतन राम मांझी के निकलने के बाद महागठबंधन में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के अलावा तीन वामपंथी दल बचे हैं। लेकिन मांझी जिस एनडीए के साथ गए हैं वहां कई दलों का आना अभी बाकी है। एनडीए में इस समय बीजेपी के अलावा पशुपति पारस की रालोजपा और जीतन राम मांझी की हम है। तीन और पार्टियां हैं जो बीजेपी की वेटिंग लिस्ट में हैं और चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी बेसब्री से अमित शाह और जेपी नड्डा के बुलावे का इंतजार कर रहे हैं। फोन आए तो जाएं, फोटो कराएं और मांझी के बेटे संतोष सुमन की तरह एनडीए में शामिल होने का ऐलान करें। लेकिन बुलावा आ ही नहीं रहा।
जीतन राम मांझी इस मामले में लकी निकले। उनका मामला रिकॉर्ड 8 दिन में सुलझ गया। 13 जून को बेटे संतोष सुमन मांझी ने नीतीश कुमार की कैबिनेट से इस्तीफा दिया और मात्र आठ दिन में मांझी की पार्टी हम महागठबंधन से एनडीए में पहुंच गई। अधर में लटके हैं चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी जिनमें कुछ महीनों तो कुछ वर्षों से बीजेपी के बुलावे के इंतजार में बैठे हैं। चिराग पासवान का केस तो सबसे अनूठा है। चाचा पशुपति पारस ने लोजपा तोड़ा नहीं होता तो नीतीश और बीजेपी का गठबंधन टूटने के बाद वो पिछले साल अगस्त में ही बिहार एनडीए में वापस आ जाते। लेकिन चाचा पार्टी तोड़कर एनडीए में रह गए और भतीजा सड़क पर ही रह गया।
2020 के विधानसभा चुनाव से चिराग पासवान एनडीए से बाहर चल रहे हैं। लोजपा-रामविलास के नेता सीट की बातचीत को लेकर बड़े दावे कर रहे हैं लेकिन अंदर की बात ये है कि चिराग पासवान को अकेले लड़ने का नतीजा 2020 में पता चल चुका है। चिराग की पार्टी के नेताओं को लगता है कि पीएम नरेंद्र मोदी जल्द ही उनको कैबिनेट में जगह देंगे और उनकी एनडीए में वापसी हो जाएगी। लेकिन चिराग ने जो एक शर्त लगा रखी है कि जहां चाचा, वहां मैं नहीं, इसका समाधान बीजेपी कैसे निकालेगी, यह देखने वाली बात है। चिराग ने तो चाचा की हाजीपुर सीट पर भी खुला दावा कर रखा है।
सबसे विचित्र स्थिति उपेंद्र कुशवाहा की है जो अमित शाह और जेपी नड्डा से मिल चुके हैं लेकिन एनडीए में शामिल होना अभी तक बाकी है। फरवरी में ही नीतीश का साथ छोड़ चुके कुशवाहा का इंतजार पांचवें महीने में प्रवेश कर रहा है। कुशवाहा की रालोजद के नेता दावा कर रहे हैं कि बात हो गई है, तीन सीट तय हो गया है। फिर भी कुशवाहा को एनडीए में एंट्री का गेट पास नहीं मिलने से इस चर्चा को बल मिल रहा है कि बीजेपी ने अभी वो तय नहीं किया है जो कुशवाहा तय मान कर चल रहे हैं। बीजेपी शायद गठबंधन के सारे दलों को बिहार में पहले जुटा लेना चाहती है ताकि सीटों की गिनती और सीट सबका हिसाब एक साथ किया जा सके।
मुकेश सहनी की कहानी तो और भी डिप्रेसिंग है। यूपी में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने की सहनी को काफी कीमत चुकानी पड़ी है। पहले तो उनकी पार्टी के तीन विधायकों को भाजपा ने मिलाया। फिर उनको नीतीश की सरकार से बर्खास्त भी करवाया। तब से सहनी खाली चल रहे हैं और बीजेपी की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। बीजेपी को मुकेश सहनी पर महागठबंधन की तरफ झुकाव का रत्ती भर संदेह ना रहे इसके लिए उन्होंने सरकारी बंगला भी खाली कर दिया है। मुकेश सहनी ने कहा है कि उनकी पार्टी 25 जुलाई को फूलन देवी की शहादत दिवस पर गठबंधन पर पत्ते खोलेगी।
बीजेपी की केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी में चिराग पासवान को जेड, फरवरी में मुकेश सहनी को वाई प्लस और मार्च में उपेंद्र कुशवाहा को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दी थी। कुशवाहा की सुरक्षा को मई में अपग्रेड करके जेड कर दिया गया। तीनों नेताओं की सुरक्षा को लेकर केंद्र की चिंता और मेहरबानी को एनडीए गठबंधन से उनके लगाव को जोड़कर देखा गया। तीनों पार्टी के कार्यकर्ता बीजेपी की तरफ देख रहे हैं कि वो कब इन्हें बुलाती है और एनडीए का हिस्सा बनाती है। इन तीनों नेताओं का राजनीतिक समीकरण ऐसा है कि महागठबंधन में उनके लिए जगह नहीं बनती दिख रही है। कुल मिलाकर बात ये कि बीजेपी के अलावा इनके पास कोई विकल्प नहीं है।
अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 29 जून यानी गुरुवार को लखीसराय आ रहे हैं जहां वो आमसभा को भी संबोधित करेंगे। लखीसराय बिहार विधानसभा में नेता विपक्ष विजय सिन्हा की सीट है जबकि लोकसभा के हिसाब से यह इलाका मुंगेर में आता है जिसके सांसद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह हैं। ललन सिंह मुंगेर के साथ ही लखीसराय में मीट-भात का महाभोज कर चुके हैं। अमित शाह की दस महीने में ये पांचवी बिहार यात्रा है। इससे पहले वो पूर्णिया, वाल्मीकि नगर व पटना, छपरा और नवादा में कार्यक्रम कर चुके हैं। लखीसराय में अमित शाह पहले अशोक धाम मंदिर में पूजा-पाठ करेंगे फिर गांधी मैदान में रैली को संबोधित करेंगे। ये साफ नहीं है कि बीजेपी की इस रैली में बिहार के सहयोगी दलों के नेता पशुपति पारस या जीतन राम मांझी मौजूद होंगे या नहीं।
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