बगहा : इंडो नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकि नगर में 10+2 नदी घाटी उच्च विद्यालय में एक कैम्पस में चार विद्यालय संचालित हो रहे हैं. जिसमें एक टैग विद्यालय भी शामिल है. जिसकी ना तो भूमि है और ना ही भवन है. मजबूरन छात्र आवारा पशुओं के साथ भोजन करने को मजबूर है. अभिभावकों का आ’रोप है कि शिक्षा विभाग की लाप’रवाही के कारण पशुओं से बच्चों में संक्रमण फैलने का खत’रा बना हुआ है.
विद्यालय में आवारा पशुओं का लगा रहता है जमावड़ा
दरअसल, वाल्मीकि नगर के इस उच्च विद्यालय कैम्पस में दो प्राथमिक, एक माध्यमिक और एक 10+2 विद्यालय का संचालन होता है, लेकिन उच्च विद्यालय को छोड़ बाकी विद्यालयों का भवन जर्जर हो गए है. जंगल के किनारे होने के बावजूद बाउंड्री वाल नहीं है. लिहाजा यहां गाय और भैंसों का जमावड़ा लग रहता है. यही नहीं यहां 10+2 स्कूल में तो शिक्षक ही नहीं है, लिहाजा ज्यादातर बच्चे पढ़ने ही नहीं आते हैं. कमोबेश ऐसी ही स्थिति प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों की है, जहां शिक्षकों का घोर अभाव है.
पशुओं के बीच खाना खाते है बच्चे
बता दें कि सबसे बड़ी बात यहां प्राथमिक विद्यालय व मध्य विद्यालय के बच्चे पशुओं के बीच रहकर भोजन करते हैं जिससे कई गम्भीर बीमारियों के संक्रमण का खत’रा है. एक तरफ बच्चे भोजन कर रहे होते हैं तो दूसरी तरफ जंगली जानवार और गाय बच्चों के द्वारा गिराए गए अन्न का दाना खा रहे होते है. जंगली जानवर कई गं’भीर बीमा’रियों का वाहक होते हैं. ऐसे में इन बच्चों की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह किसी से छिपा हुआ नहीं है.
शिक्षक विभाग नहीं ले रहा सुध
बता दें कि बावजूद इसके शिक्षक भी संसाधनों के अभाव में रोना रो रहे है. विभाग को पत्राचार का हवाला देकर अपनी जिम्मेवारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं लेकिन स्थानीय लोग व अभिभावक इसको लेकर काफी चिंतित हैं. शिक्षा विभाग के अधिकारियों समेत प्रधान शिक्षक से इसपर रोक लगाने समेत भवन व बाउंड्री वाल निर्माण की मांग कर रहे हैं ताकि देश के भविष्य खतरे में न पड़ें, शिक्षक विभाग है कि इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है।
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