झारखंड में कोरोना वायरस के बढ़ते मामले और कोरोना मरीजों के बीच रहने के कारण राजद सुप्रीमो और चारा घोटाले के चार मामलों के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को राहत मिलना तय है, क्योंकि लालू प्रसाद पैरोल की सारी शर्तों को पूरा कर रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि एक-दो दिन में लालू को पैरोल पर रिहा कर दिया जाएगा। हेमंत सरकार ने इस ओर कदम भी बढ़ा दिए हैं। सरकार ने इस मामले पर विधि विभाग से मंतव्य भी मांगा है।
यह है पैरोल एक्ट
किसी भी सजायाफ्ता को कुछ शर्तों के साथ पैरोल की सुविधा मिलती है। पैरोल एक्ट के अनुसार सजायाफ्ता व्यक्ति तभी जेल से बाहर निकल सकता है, जब उसने अपनी सजा का एक तिहाई समय जेल में बिताया हो या फिर वह एक साल से जेल में बंद हो। एक्ट के अनुसार सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को पैरोल मिलती है, जिनके घर में शादी, किसी का निधन, स्वास्थ्य की स्थिति ठीक न हो। इसके लिए राज्य सरकार एक बोर्ड का गठन करती है जिसमें संबंधित व्यक्ति का आवेदन भेजा जाता है। उसके बाद कमेटी जेल में उसके व्यवहार, स्वास्थ्य की स्थिति और स्पष्ट कारण को देखते हुए ही पैरोल देने पर सहमति जताती है।
पैरोल के लिए लालू फिट
लालू प्रसाद इन दिनों चारा घोटाले के दुमका और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सजायाफ्ता है। लालू प्रसाद यादव 23 दिसंबर 2017 से जेल में बंद है। ऐसे में लालू करीब 28 माह से जेल में बंद है जो पैरोल की शर्तों को पूरा करता है।
लालू के इलाज के लिए एम्स से आएंगे नेफ्रोलॉजिस्ट
चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव के इलाज के लिए एम्स नई दिल्ली से सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट आएंगे। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने एम्स, नई दिल्ली के निदेशक को पत्र लिखकर लालू के इलाज के लिए सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
एम्स, नई दिल्ली के निदेशक को नेफ्रोलॉजिस्ट उपलब्ध कराने के लिए भेजा गया पत्र
दरअसल, रिम्स के मेडिकल बोर्ड के अध्यक्ष सह चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विवेक कश्यप ने लालू के इलाज के लिए एम्स के सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट से इलाज कराने की अनुशंसा की है। इस आलोक में कारा महानिरीक्षक ने स्वास्थ्य विभाग से एम्स से सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट बुलाने का अनुरोध किया था। इधर, स्वास्थ्य सचिव ने एम्स निदेशक को पत्र भेजने के बाद कारा महानिरीक्षक को इसकी जानकारी देते हुए एम्स से संपर्क करने को कहा है।
Source: Jagran
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