सोमवार को एक बार फिर दिल्ली-NCR में भूकंप के तेज़ झटके महसूस किये गए. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.7 दर्ज की गई है. आपको बता दे रविवार को कोरोनावायरस के संक्रमण के बीच राजधानी दिल्ली और एनसीआर रीजन में रविवार शाम भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.5 दर्ज की गई है। भूकंप के झटके महसूस होने के बाद कई लोग घरों से बाहर निकल आए। इससे एकाएक सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर खतरा पैदा हुआ। हालांकि, इतनी तीव्रता के भूकंप से ज्यादा नुकसान नहीं होने का अनुमान जताया गया है।
Earthquake with magnitude 2.7 hits Delhi
— Press Trust of India (@PTI_News) April 13, 2020
पूर्वी दिल्ली में ज्यादा लोगों ने झटके महसूस किए
दिल्ली के साथ-साथ गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके लगभग 5 सेकंड तक महसूस किए गए। पूर्वी दिल्ली में इसका एपीसेंटर था, इसलिए यहां सबसे ज्यादा लोगों ने झटके महसूस किए।
केजरीवाल का ट्वीट- सभी की सुरक्षा की प्रार्थना करता हूं
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए जाने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘आशा करता हूं कि सभी सुरक्षित हैं। मैं सभी की सुरक्षा को लेकर प्रार्थना करता हूं।’’
अब तक सबसे ज्यादा 9.4 मैग्नीट्यूड तीव्रता का भूकंप आया
अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड किया गया भूकंप 22 मई1960 को चिली में आया था। यह 9.5 मेग्नीट्यूड तीव्रता का भूकंप था। चिली के बाद दूसरा सबसे बड़ा भूकंप 28 मार्च 1964 में यूनाइटेड स्टेट्स में रिकॉर्ड किया गया था। ये 9.2 मेग्नीट्यूड का था, इससे प्रिंस विलियम साउंड, अलास्का का क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ था।
6 की तीव्रता वाला भूकंप भयानक होता है
भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं। डॉ. अरुण ने बताया कि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है।
धरती चार परतों से बनी है- वैज्ञानिक डॉ. अरुण
वैज्ञानिक डॉ. अरुण बताते हैं कि धरती चार परतों से बनी है- इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फेयर कहा जाता है। लिथोस्फेयर 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है। ये परत वर्गों में बंटी है और इन्हें टेक्टोनिकल प्लेट्स कहते हैं। जब इन टेक्टोनिकल प्लेटों में हलचल तेज होती है तो भूकंप आता है।
source: Bhaskar
Be First to Comment