बिहार में बांका जिले के फुल्लीडुमर प्रखंड के भितिया पंचायत अन्तर्गत आदिवासी बहुल निरपाडीह गांव अजीब त्रासदी झेल रहा है। गांव के लोग जवान होते ही बूढ़े हो जाते हैं। दांत पीले होकर टूटने लगते हैं। पैर टेढ़े हो जाते हैं। बड़ी मुसीबत यह कि कई बच्चे दिव्यांग ही पैदा होते हैं।
डॉक्टरों का मानना है कि यह फ्लोराइडयुक्त पानी की वजह से हो रहा है। डेढ़ सौ की आबादी वाला यह गांव एक पुराने कुएं का पानी पीता है। कुछ ही लोग ने चापानल गड़वाए, मगर उसका पानी भी शुद्ध नहीं निकला। शुद्ध जल के लिए नल आया, मगर वह पानी नहीं उगलता। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जितने भी लोग हैं वे 30 की उम्र पार करते-करते बी’मार होने लगते हैं। पैर व घुटना में दर्द शुरू हो जाता है तथा धीरे-धीरे पैर में टे’ढ़ापन आ जाता है। जवानी में ही बूढ़े दिखने लगते हैं।
अधिकांश ग्रामीणों का दांत 35 साल तक टूट कर गिरने लगता है। बी’मारी से पी’ड़ित ग्रामीण रानी देवी, सालु सोरेन, मोतीलाल सोरेन, भूदेव सोरेन, भगलू सोरेन, पार्वती सोरेन, तुपूर सोरेन, बड़की टुड्डू आदि ने बताया कि पानी के कारण इस तरह की बी’मारी हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में आने वाली बहुओं में भी दो-तीन साल के बाद इस तरह की बी’मारी हो जाती है।
बांका पीएचईडी कार्यपालक ने कहा है कि निरपाडीह गांव के संबंध में जानकारी नहीं मिली है। उस गांव का पानी विभाग द्वारा लाकर लैब में टेस्ट करवाया जाएगा। पानी में अगर फ्लोराइड पाया गया तो इस संबंध में विभाग से जानकारी लेकर कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों ने बताया कि गत दो वर्ष पूर्व गांव में नलजल योजना से पाइप बिछाया गया, लेकिन आजतक इस नल से एक भी बूंद जल लोगों को नसीब नहीं हुआ है। पानी के कारण गांव में पशुओं की हा’लात भी गं’भीर बनी रहती है। प्राय: पशुओं में कम’जोरी देखी जाती है। गांव में कभी कोई पदाधिकारी समस्या सुनने आजतक नहीं आए हैं।
इसकी जांच में पता चला था कि उस गांव में पानी के कारण ही लोगों में इस प्रकार की बी’मारी हो रही है। फ्लोराइड युक्त पानी पीने से इस प्रकार की बी’मार से लोग ग्र’सित होते हैं। इसका एक मात्र इलाज यह है कि पानी शुद्ध पीना होगा, तभी कोई भी दवा उनपर असर करेगी।
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