Press "Enter" to skip to content

पीपीएफ – सुकन्या जैसी स्कीम्स की ब्याज पर भी चलेगी कैं’ची! बड़े झ’टके की तैयारी

पिछले दिनों कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने ईपीएफ पर ब्याज दर में भारी कटौती की थी। ईपीएफ के बाद अब स्मॉल सेविंग स्कीम्स की ब्याज दरों पर भी कैं’ची चलने की आशंका है। अगर ऐसा होता है तो स्मॉल सेविंग के दायरे में आने वाली-सुकन्या समृद्धि योजना, पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ और किसान विकास पत्र जैसी स्कीम्स में निवेश करने वालों को बड़ा झ’टका लग सकता हैं।

सुकन्या समृद्धि योजना: योजना के नियम, लाभ, कमियां और अन्य जानकारी | Pradhan  Mantri Sukanya Samriddhi Yojana in Hindi

मिली जानकारी में RBI ने अपनी “स्टेट ऑफ द इकोनॉमी” रिपोर्ट में कहा है कि तुलनात्मक आधार पर स्मॉल सेविंग स्कीम्स की वर्तमान ब्याज दरें 42-168 बीपीएस अधिक हैं। भारत सरकार ने 31 दिसंबर, 2021 को स्मॉल सेविंग स्कीम्स पर ब्याज दरों की समीक्षा की थी और लगातार सातवीं तिमाही के लिए अपरिवर्तित छोड़ दिया। ऐसा अनुमान है कि सरकार 31 मार्च को 2022-23 की पहली तिमाही के लिए स्मॉल सेविंग स्कीम्स पर ब्याज दरों की समीक्षा कर सकती है।पीपीएफ पर 7.1 फीसदी की दर से ब्याज दिया जा रहा है जबकि सुकन्या समृद्धि अकाउंट पर 7.6 फीसदी प्रति वर्ष की ब्याज दर है। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिक बचत योजना की ब्याज दर 7.4 फीसदी प्रति वर्ष है। अन्य छोटी बचत योजनाओं में डाकघर बचत खाता पर 4 फीसदी प्रति वर्ष की ब्याज दर मिल रही है। इसके अलावा 5-वर्षीय डाकघर आवर्ती जमा खाता पर 5.8 फीसदी प्रति वर्ष की ब्याज दर है। डाकघर मासिक आय योजना खाता पर 6.6 फीसदी प्रति वर्ष की ब्याज दर के साथ, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (एनएससी) 6.8 फीसदी की ब्याज दर के साथ और किसान विकास पत्र पर  6.9 फीसदी की ब्याज दर के साथ निवेशकों के बीच लोकप्रिय बना है।कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने पिछले दिनों ईपीएफ पर ब्याज दर घटाकर 8.1 फीसदी कर दिया जो पिछले करीब चार दशक में सबसे कम है। हालांकि, बैंकों की ओर से फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जा रही है।

Share This Article
More from BUSINESSMore posts in BUSINESS »
More from LatestMore posts in Latest »
More from NationalMore posts in National »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *