भारत-नेपाल सीमा पर स्थित सुस्ता गांव पर कब्जे के लिए नेपाल नया दांव खेल रहा है। लोगों को लुभाकर अपने पक्ष में लाने के लिए नेपाल गांव के सभी घरों को बिजली कनेक्शन और शौचालय देने में जुटा है। साथ ही यहां अस्पताल बनवाने की भी तैयारी चल रही है। पड़ोसी देश यहां पहले ही सुरक्षा प्रहरी पोस्ट खोल चुका है। दूसरी ओर, आईबी की ओर से गृह मंत्रालय को नेपाल के गतिविधियों की रिपोर्ट भेजने व एसएसबी द्वारा कई बार सूचना देने के बावजूद भारत की ओर से अब तक ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
नेपाल के संसदीय क्षेत्र संख्या 6 के सांसद दिव्य करण कलवार उर्फ संतु प्रधान ने सुस्ता के हर घर को बिजली देने की घोषणा की है। शौचालय बनवाने के लिए सभी घरों में दो बोरी सीमेंट व एक-एक क्विंटल छड़ मुहैया कराया गया है। स्थानीय लोगों से कहा गया है कि सुस्ता थाने के जीर्णोद्धार की भी योजना है।सुस्ता के रामअवतार दास, प्रकाश दास, मोहन कुमार आदि ने बताया कि नेपाल सरकार की तरफ से खेती करने के लिए भूमि का लाल पर्चा दिया गया है। किसी को पांच एकड़ तो किसी को दस एकड़ तक जमीन का पर्चा बांटा गया है। सुस्ता की पांच हजार एकड़ भूमि को लेकर साठ के दशक से ही भारत और नेपाल में विवाद है। इस क्षेत्र में भारत और नेपाल की सीमा का निर्धारण गंडक नदी करती है।
एसएसबी कमांडेंट श्रीप्रकाश ने बताया कि साठ के दशक में गंडक ने अपनी धारा बदली थी। इसी कारण विवाद उपजा। सुस्ता भारतीय क्षेत्र है। वहां के हालात के बारे में वरीय अधिकारियों को सूचित किया गया है। सुस्ता के रज्जाक अंसाही का कहना है कि धनाहिया के समीप करीब 400 एकड़ भारतीय भूमि को नेपाल ने कब्जे में ले रखा है। इसे मुक्त कराने की पहल नहीं हो रही है। सुस्ता के ही महेश प्रसाद कहते हैं कि सुस्ता तो पूरी तरह नेपाल के कब्जे में है। उसकी नजर पास के गांव धनइया पर भी है। नेपाल की क्षेत्र में गतिविधि बढ़ रही हैं। वहीं, लैला बेगम बतातीं हैं कि अब तो लगता ही नहीं कि यह भारतीय गांव है। जरूरत की चीजें नेपाल से ही आती हैं। पहले कभी-कभार बिहार से अधिकारी आते थे पर अब वे भी नहीं आते। सुस्ता वासी रवीन्द्र दास ने बताया कि मैंने पांच वर्ष पूर्व घर बनवाना शुरू किया। एसएसबी ने रोक लगा दी। नेपाली प्रहरी ने सुरक्षा का आश्वासन दिया तो पक्का घर बना लिया।नेपाल की तरफ से गांव में सुस्ता बचाओ समिति काम कर रही है। समिति के सचिव गोपाल दास ने बताया कि नेपाल की स्थानीय नवलपरासी प्र्रशासन की तरफ से गांव के सभी लोगों को भूमि के लिए लाल पर्चा दिया गया है। व्यापार आदि के लिए लोगों को कर्ज आदि की व्यवस्था नेपाल सरकार की ओर से कराई जा रही है।
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