प्रकृति के बदलाव के साथ साथ उत्सव मनाए जाते हैं। पौष एवं माघ की शीत के पश्चात बसंत ऋतु आरंभ होती है। इस ऋतु के आरंभ होने पर बसंत पंचमी का उत्सव आदि काल से मनाया जाता है। बसंत पंचमी उत्सव मां सरस्वती के जन्मदिन का उत्सव है।
इस वर्ष बसंत पंचमी पांच फरवरी दिन शनिवार को मनाई जाएगी। बसंत पंचमी के अवसर पर सरस्वती मां की पूजा एवं यज्ञ होता है। विद्यार्थियों की मेधा शक्ति बढ़ाने लिए मां सरस्वती के उपासना करनी चाहिए। सरस्वती ज्ञान की देवी हैं इसलिए उन्हें वाग्देवी और शारदा नाम से भी जाना जाता है।
गायन, वादन,नृत्य, कौशल, शिक्षा बुद्धि, विवेक एवं विभिन्न बौद्धिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए मां शारदे का आशीर्वाद आवश्यक होता है। इसीलिए बसंत पंचमी पर्व के दिन सरस्वती मां का जन्मदिन मना कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।पांच फरवरी दिन शनिवार को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र और सिद्धि योग में बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। प्रातः 7:35 बजे से 9:03 तक कुंभ लग्न में सरस्वती की मां की आराधना करें। इसके बाद में 10:29 से और 13:59 बजे तक चर लग्न मेष और स्थिर लग्न वृषभ में बहुत ही शुभ मुहूर्त हैं।
विद्यार्थी अथवा सामान्य व्यक्तियों को भी प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण करें। मस्तक पर पीला तिलक लगाएं। सरस्वती मां की प्रतिमा के सामने बैठकर सरस्वती वंदना करें। मां सरस्वती का सफेद अथवा पीले पुष्पों से पूजन करें। तत्पश्चात पीले मिष्ठान से भगवती सरस्वती को भोग लगाएं और मां से विद्या बुद्धि देने की प्रार्थना करें। सरस्वती के मंत्र इस प्रकार हैं। इनमें से किसी एक मंत्र का विशेष जाप किया जा सकता है।
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