मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले में ब्रजेश ठाकुर सहित 19 दोषियों को सजा तय करने को लेकर सुनवाई के दौरान दिल्ली के साकेत कोर्ट ने फैसले को 11 फरवरी के लिए सुरक्षित रख लिया है। साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ठाकुर को पॉक्सो कानून के तहत सामूहिक दुष्कर्म का दोषी माना है। उन्होंने दोषियों को सजा सुनाने के लिए 28 जनवरी की तारीख मुकर्रर की थी, लेकिन उस दिन अवकाश पर होने की वजह से दोषियों की सजा नहीं सुनाई जा सकी। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई चार फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया था।
इस मामले में दोषी ब्रजेश ठाकुर को अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है। अदालत ने उसे बाल न्याय (संरक्षण एवं देखरेख) कानून की धारा 75, पॉक्सो कानून की धारा 6 के अलावा आपराधिक षड्यंत्र, खतरनाक हथियार रखना, बंधक बनाने के जुर्म में दोषी ठहराया गया है। अदालत ने ठाकुर व अन्य आरोपियों को दोषी ठहराते हुए कहा था कि दोषियों ने आश्रय गृह में 7 से 17 साल तक के बच्चियों के साथ यौन शोषण व शारीरिक उत्पीड़न किया। अदालत ने कहा था कि समझा जा सकता है कि बच्चियों की पीड़ा असहनीय रही होगी।
मामले में सीबीआई जांच में पाया गया था कि बालिका गृह में पीड़िताओं के साथ ना केवल बालिका गृह में कर्मचारी गलत काम कर रहे थे, बल्कि बिहार सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी भी उसमें शामिल रहे। बच्चियों का यौन शोषण हुआ।
ये पाए गए दोषी
बृजेश ठाकुर के अलावा कोर्ट ने इंदू कुमारी (बालिकागृह अधीक्षक), मीनू देवी (बालिकागृह में गृह माता), मंजू देवी (काउंसलर), चंदा देवी (बालिकागृह में गृह माता), नेहा कुमारी (नर्स), हेमा मसीह (केस वर्कर), किरण कुमारी (सहायक), रवि कुमार, विकास कुमार (सीडब्लूसी का सदस्य), दिलीप कुमार (सीडब्लूसी का अध्यक्ष), विजय तिवारी (चालक), गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, रोजी रानी, रामानुज ठाकुर उर्फ मामू, रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर, डॉक्टर अश्विनी, नरेश प्रसाद और साइस्ता परवीन उर्फ मधु को दोषी करार दिया। वहीं, रवि रोशन दोषी ठहराए जाने के बाद कोर्ट में ही रोने लगा और आत्महत्या करने की धमकी देने लगा। इस मामले में विक्की नाम के व्यक्ति को कोर्ट ने बरी कर दिया।
(इस खबर को मुजफ्फरपुर न्यूज़ टीम ने संपादित नहीं किया है. यह हिंदुस्तान फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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