मुजफ्फरपुर. बीआरए बिहार विवि के 42 में से 34 कॉलेज प्रभारी प्राचार्य चला रहे हैं. इन कॉलेजों में वर्षों से स्थायी प्राचार्य नहीं हैं. कहीं एक प्राचार्य दो कॉलेज के, तो कहीं विभागों के शिक्षक प्राचार्य का काम कर रहे हैं.
कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य नहीं होने से नैक मूल्यांकन पर बुरा असर पड़ सकता है. नैक मूल्यांकन में स्थायी प्राचार्य का भी अंक होता है. बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में इसी वर्ष नैक का मूल्यांकन होना है. कई बड़े कॉलेज नैक मूल्यांकन में बढ़िया ग्रेड लाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, लेकिन इन कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य नहीं हैं.
कॉलेज के विकास में पड़ता है असर
विवि के एक स्थायी प्राचार्य ने बताया कि कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य नहीं होने से कॉलेज के विकास पर असर पड़ता है. प्रभारी प्राचार्य नीति संबंधित निर्णय नहीं ले सकते हैं. निर्णय से पहले उन्हें विवि से इजाजत लेनी पड़ेगी. प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति सिर्फ रूटीन काम के लिए की जाती है.
सिंडिकेट से पास हो चुका है स्थायी प्राचार्य का मामला
सिंडिकेट की बैठक में स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति का मामला पास कर दिया है. बैठक में कई सदस्यों ने कॉलेजों में प्रभारी प्राचार्य का मुद्दा उठाया था. इस पर कुलपति ने कहा था कि जल्द ही ऐसे कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति की जायेगी. हालांकि अब बिहार सरकार ने स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति अधिकार विवि से छीनकर विवि सेवा आयोग को दे दिया है.
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