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कोरोना का कहर: पहले से ज्यादा आक्रामक दूसरी लहर, वायरस 300 फीसदी तीव्र

देश के एक दर्जन से अधिक राज्य कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहे हैं। महामारी को नियंत्रण में लाने का अनुभव होने के बावजूद इन राज्यों में स्थिति सामान्य नहीं हो पा रही है। इसकी मुख्य वजह वायरस का पहले से ज्यादा आक्रामक होना है। आंकड़ों पर गौर करें तो कोरोना वायरस की आक्रामकता में 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। केंद्र सरकार ने महामारी की दूसरी लहर के लिए राज्यों को जिम्मेदार ठहराया है। 

जुलाई 2020 में रोजाना मिलते थे 60 हजार से ज्यादा केस, इस बार मार्च में ही दिखे
पिछले साल मार्च माह में संक्रमण के मामले बढ़े थे। हालांकि उस दौरान प्रतिदिन औसतन 187 संक्रमित मरीज मिल रहे थे। इसके बाद जुलाई में हर दिन 60 हजार से ज्यादा मरीज मिलने लगे थे, लेकिन इस बार कोरोना वायरस ने मार्च के महीने में ही 60 हजार से अधिक का आंकड़ा छू लिया है। बीते 30 दिन में तीन लाख से ज्यादा सक्रिय मरीज हो चुके हैं।

विशेषज्ञों का कहना है इस बार वायरस को काबू में लाना और भी ज्यादा मुश्किल 
इतना ही नहीं कोरोना से मरने वालों की संख्या में भी 200 फीसदी की वृद्धि दर्ज की जा चुकी है। वायरस के फैलाव में आई इस तेजी को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार महामारी पर नियंत्रण पाना और भी ज्यादा मुश्किल हो सकता है।

जानकारी के अनुसार, पिछले साल मार्च में औसतन 187 मामले रोजाना मिल रहे थे। अप्रैल में 1,801, मई में 8,336, जून में 18,641 और जुलाई में 52,783 मामले औसतन मिलने लगे थे। अगस्त में हर दिन मिलने वाले मामले 78,512 और सितंबर में 86,821 तक पहुंच गए थे, लेकिन अक्तूबर से लगातार गिरावट देखने को मिल रही थी। इसी साल 26 फरवरी को एक दिन में 16,488 मामले मिले थे जिसके चलते सक्रिय मरीजों की संख्या 1.59 लाख से भी अधिक हो गई।

ठीक एक माह बाद 28 मार्च को देश में 62 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज मिले हैं और सक्रिय मरीजों की संख्या भी बढ़कर पांच लाख के करीब पहुंच गई है। संक्रमित मरीजों में करीब 260 फीसदी और सक्रिय मामलों में 165 फीसदी से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है।

इसी साल 25 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक, एक हफ्ते में भारत में हर दिन औसतन 47,442 नए मामले आ रहे थे। 28 अक्तूबर 2020 के बाद पहली बार सात दिन का औसत इतना ज्यादा पहुंचा। 8 से 14 मार्च के बीच कोरोना के मामलों का औसत 28,551 था। यह 10 मई 2020 के बाद कोरोना वायरस के हर हफ्ते बढ़ते मामलों की दर में सबसे बड़ी उछाल है।

पिछले अनुभव से रोक सकते हैं महामारी, लेकिन चुनौती भी काफी
एम्स, दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा का कहना है कि पिछले साल की तरह इस बार भी वायरस कुछ राज्यों में ज्यादा आक्रामक है। पंजाब में मृत्यु दर तो राष्ट्रीय औसत से भी दोगुनी से अधिक हो चुकी है। हालांकि पिछले अनुभव के आधार पर महामारी को हम जल्द से जल्द रोक सकते हैं, लेकिन वायरस में बढ़ी आक्रामकता हमारी योजनाओं पर पुनर्विचार की ओर इशारा भी कर रही है।

ऐसे वायरस हुआ है आक्रामक
महामारी का गणितीय आकलन करने वाले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर रिजो एम जॉन ने बताया कि कोरोना वायरस की पूर्व और वर्तमान दोनों लहर की आपस में तुलना करें तो पता चलेगा कि इस बार वायरस की ताकत पहले की तुलना में 300 फीसदी अधिक बढ़ी है। इसमें वायरस के नए-नए म्यूटेशन से उसे मदद मिली है और ब्रिटेन, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका से पूरी दुनिया में फैले वायरस के नए स्ट्रेन तेज हुए हैं।

वैक्सीन के रूप में आया बदलाव, लेकिन नहीं मिली कामयाबी
कोरोना की पहली लहर के बाद वैक्सीन के रूप में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। इसके बाद चर्चा शुरू हुई कि दूसरी लहर से पहले हर्ड इम्यूनिटी हासिल कर लेंगे। इसीलिए 16 जनवरी को कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया गया, लेकिन यह कई पैमानों पर खरा नहीं उतरा है। 35 लाख वैक्सीन डोज के एक रिकॉर्ड के अलावा रोजाना टीकाकरण का रिपोर्ट कार्ड औसतन 20 लाख के आसपास मंडराता रहा है और रविवार को तो यह 80 फीसदी तक कम हो जाता है। इसके पीछे केंद्र रविवार अवकाश होने का कारण बताता है।

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