3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ पितृ पक्ष के समापन के बाद ही शुरू होता है। सर्व पितृ अमावस्या यानि अश्विन अमावस्या के खत्म होने के अगले दिन से शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना के साथ शुरू होती है। अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का पहला दिन होता है। उस दिन सुबह में स्नान आदि से निवृत होने के बाद कलश स्थापना करते हैं। मां दुर्गा का आह्वान होता है। फिर व्रत व पूजन आदि करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान विधि- विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
विभिन्न पंचांगों के हवाले से ज्योतिष बताते हैं कि इसबार चतुर्थी तिथि की वृद्धि तथा नवमी तिथि का क्षय होने पर भी पूरा पक्ष 15 और नवरात्र नौ दिनों की होगी। भक्तजन नौ दिन पाठ करेंगे। परंतु, 10 अक्टूबर को आतर है। 11 अक्टूबर को महाअष्टमी और नवमी की पूजा होगी। शास्त्रों के अनुसार सप्तमी और अष्टमी मिला रहने पर महाअष्टमी का व्रत निषेध माना गया है। 10 को सप्तमी और अष्टमी दोनों है। इसलिए श्रद्धालु अष्टमी की पूजा न कर सिर्फ महागौरी की पूजा करेंगे।
- (पहला दिन) – 3 अक्टूबर- मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है
- (दूसरा दिन) -4 अक्टूबर -मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है
- (तीसरा दिन) -5 अक्टूबर – मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है
- (चौथा दिन)-7 अक्टूबर -मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है
- (पांचवा दिन)-8 अक्टूबर- मां स्कंदमाता की पूजा
- (छठां दिन)- 9 अक्टूबर- मां कात्यायनी की पूजा
- (सातवां दिन) -10 अक्टूबर- मां कालरात्रि की पूजा
- (आठवां दिन) -11 अक्टूबर- मां महागौरी पूजा
- (नौंवा दिन) -11 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा
- नवमी हवन, विजयादशमी- 12 अक्टूबर 2024, शनिवार
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