लोक आस्था के महापर्व छठ की आज से शुरुआत हो रही है। आज नहाय खाय के साथ ही यह चार दिनों का महापर्व शुरू हो गया है। नहाय खाय के दिन को कुछ लोग कद्दू भात का दिन भी कहते हैं। पूरी शुद्धता के साथ छठ व्रती स्नान कर नहाय खाय का प्रसाद बनाएंगे। अरवा चावल का भात, चना दाल एवं कद्दू मिला हुआ दाल बनाया जाएगा। लौकी की सब्जी, नया आलू और गोभी की सब्जी के साथ कई जगह अगस्त के फूल का पकौड़ा भी बनेगा।
आज से इस पर्व की शुरुआत हो गई है। व्रती शहर के बूढ़ी गंडक नदी के विभिन्न घाटों पर सुबह में स्नान कर भगवान भास्कर की पूजा की। सुहागिन महिला व्रती एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरी। व्रती छठ के प्रसाद के लिए गेहूं धोकर अपने दरवाजे या छत पर सुखाएंगी। इस बीच नदी व तालाब किनारे छठ घाटों पर दिन-रात तैयारी जारी है। सजावट का काम भी शुरू हो चुका है। चेजिंग रूम, कंट्रोल रूम आदि अभी नहीं बने हैं। हालांकि बांस-बल्ला गाड़ने का काम शुरू हो गया है। निगम के स्तर से कुल 29 घाटों पर विशेष व्यवस्था की जा रही है।
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