विधायक जी ने कोरोना संक्रमण से लड़ाई के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में 50 लाख रुपये दिए। फिर बाद में कहा कि गलती हो गई, वापस दीजिए। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर इसके पीछे के कारण बताए। साथ ही लॉकडाउन को ले विवादित बयान देते हुए उसकी तुलना नोटबंदी से ककर दी। कहा कि केंद्र सरकार ने नोटबंदी के बाद अब तालाबंदी कर लोगों के समक्ष मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। घटना बिहार के किशनगंज स्थित बहादुरगंज के कांग्रेस विधायक तौसीफ आलम से जुड़ी है।
एक ओर पूरी दुनिया के सामने इस समय कोरोना से जंग का मुद्दा है, वहीं दूसरी ओर बिहार में इस महामारी के समय भी सियासत परवान चढ़ रही है। ताजा मामला इसी की एक कड़ी है।
कांग्रेस विधायक ने पत्र लिखकर रखी राशि वापसी की मांग
कांग्रेस विधायक ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से राहत कोष में दी गई राशि वापस करने की मांग की है। मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर उन्होंने कोविड-19 महामारी को लेकर विधायक मद की 50 लाख की राशि वापस देने की मांग की है।
लॉकडाउन के दौरान राहत देने में सरकार को बताया विफल
बहादुरगंज विधायक तौसीफ आलम ने बीते 29 अप्रैल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा कि उन्होंने कोरोना से लड़ाई के लिए 50 लाख रुपये की जो राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में दी है, उसे वापस कर दिया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार आम जनों को राहत पहुंचाने व आप्रवासियों की मदद में विफल रही है। उनके बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र में सैनिटाइजर, मास्क, साबुन व सूखा राशन का वितरण नहीं किया गया है। दूसरे राज्यों में फंसे विधानसभा क्षेत्र के कामगारों व अन्य लोगों में 90 फीसद को कोई सहायता नहीं मिल पाई है।
कहा: पैसा मिलते ही अपने स्तर से लोगों की करेंगे सहायता
विधायक ने लिखा है कि उन्होंने जिस मकसद से राहत कोष में विकास योजनाओं की राशि दी, वह पूरा होता नहीं दिख रहा है। इस कारण सरकार अविलंब उनके द्वारा दिए गए 50 लाख रुपये वापस करे। उन्होंने कहा कि राशि वापस मिलते ही वे अपने स्तर से लोगों के बीच राहत मुहैया कराएंगे।
Source: Jagran
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