मुजफ्फरपुर : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक नल का जल का जिले में हाल बेहाल है। जैसे-जैसे पारा चढ़ रहा योजनाओं की सच्चाई सामने आ रही हैं।
जिला पंचायती राज कार्यालय में जो रिपोर्ट आई है उससे मिली जानकारी के अनुसार, अनुसार 56 योजनाओं में जलापूर्ति ठ’प है। दूसरी ओर डेढ़ करोड़ से अधिक का बिजली बिल बकाया होने से चालू योजनाओं के लाइन कटने का ख’तरा है। इस ख’तरे के बीच ग्रामीणों से 30 रुपये सेवा शुल्क अनिवार्य रूप से लेने की रणनीति बनाई जा रही है।
ख़बरों के मुताबिक, जिले की 4585 वार्ड में नल-जल योजना का क्रियान्वयन किया गया। इनमें से 56 योजनाओं से जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। औसतन 14 लाख रुपये प्रति योजना पर खर्च किए हैं। यानी करीब सात करोड़ से अधिक की योजना का लाभ आमलोगों को नहीं मिल रहा है।
पारू में सर्वाधिक 14 ऐसी योजनाएं हैं। इसके अलावा मुशहरी और कटरा में 12-12 योजनाओं से जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। सरैया में ऐसी आठ योजनाएं हैं। अधिकतर योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं होने का कारण बिजली कनेक्शन, स्ट्रक्चर नहीं बन पाना, कार्य का पूरा नहीं होना बताया जा रहा है। कई योजनाओं में घरों तक कनेक्शन नहीं पहुंचा है। कुछ जगहों पर दूसरी योजना का कार्य होने से पाइपलाइन क्ष’तिग्रस्त किए जाने की बात कही गई है।
दरअसल जो संख्या पंचायती राज कार्यालय में दिखाई गई वह कागजी है। धरातल पर स्थिति काफी गं’भीर है। कहने भर के लिए योजनाएं चालू कर दी गईं, मगर पानी घरों तक नहीं पहुंचा है। नतीजा जिस योजना की शिका’यत आती है वहां ग’ड़बड़ी ही पाई जाती है।
नल-जल योजना की मानीटरिंग के लिए सभी योजनाओं में आइओटी (इंटरनेट आफ थिंग्स) डिवाइस बोरिंग के समीप लगाने की बात कही गई। इसके लिए जिले में तीन करोड़ रुपये का टेंडर भी हुआ, मगर यह डिवाइस नहीं लगाया जा सका। इसके पीछे योजनाओं की ग’ड़बड़ी छिपाना है। क्योंकि डिवाइस लगाने के बाद यह पता चल जाएगा कि वार्डों में किए गए बोङ्क्षरग से पानी की सप्लाई हो रही है या नहीं। अब तक जिले के एक वार्ड में यह डिवाइस नहीं लगाया गया है।
जिला पंचायती राज पदाधिकारी ने कहा कि जहां-जहां से शिका’यतें आती हैं वहां ठीक करा दिया जा रहा है। पिछले दिनों योजना की संयुक्त रूप से जांच की गई है। जहां से गड़’बड़ी की रिपोर्ट आएगी उसे दुरुस्त किया जाएगा।
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