बिहार : ई-श्रम पोर्टल पर निबंधित पौने तीन करोड़ मजदूरों के डेटा से यह खुला’सा हुआ है कि बिहार के 94 फीसदी मजदूरों की आमदनी 10 हजार से कम है। मात्र एक फीसदी से भी कम ऐसे मजदूर हैं जिनकी आमदनी 18 हजार मासिक से अधिक है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बिहार में मजदूरों की आमदनी को लेकर ही उनके पलायन की सबसे बड़ी वजह है।
मिली जानकारी के मुताबिक, असंगठित क्षेत्र के कामगारों का निबंधन अभी ई-श्रम पोर्टल पर हो रहा है। केंद्र सरकार ने बिहार को साढ़े तीन करोड़ मजदूरों के निबंधन का लक्ष्य दिया है। पोर्टल पर अब तक दो करोड़ 80 लाख 88 हजार से अधिक कामगारों ने निबंधन किया है। इनमें दो करोड़ से अधिक मजदूरों ने सहज वसुधा केंद्र के माध्यम से निबंधन कराया है जबकि बाकी ने खुद से निबंधन किया है।
निबंधन के अनुसार दो करोड़ 64 लाख से अधिक कामगारों ने अपनी आमदनी 10 हजार से कम बताई है जो कुल निबंधन का 94.01 फीसदी है। 15 हजार से कम आमदनी वाले कामगारों की संख्या एक करोड़ 40 लाख से अधिक है जो कुल निबंधन का 4.99 फीसदी है। इसी तरह 18 हजार से कम आमदनी वाले कामगारों की संख्या एक लाख 67 हजार से अधिक तो 21 हजार से कम आमदनी वाले कामगारों की संख्या 57 हजार से अधिक है। 21 हजार से अधिक आमदनी की श्रेणी में 55 हजार कामगार हैं, जो कुल निबंधन का 0.19 फीसदी है।
पोर्टल पर निबंधित कामगारों में 57.97 फीसदी कामगार ओबीसी श्रेणी से हैं। जबकि एससी श्रेणी के 20.28 फीसदी, एसटी के 4.82 फीसदी कामगार हैं। 16.93 फीसदी कामगार सामान्य श्रेणी के हैं। निबंधित कामगारों में 56.13 फीसदी कामगार महिलाएं तो 43.87 फीसदी पुरुष कामगार हैं। 10 लाख से अधिक कामगारों ने अपने आप को दूसरे राज्यों में काम करने की जानकारी दी है।निबंधित कामगारों में सबसे अधिक कृषि क्षेत्र के हैं। एक करोड़ 39 लाख से अधिक कामगार कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। घरेलू कामगारों की संख्या 41 लाख 43 हजार से अधिक है। निर्माण क्षेत्र से जुड़े कामगारों की संख्या 27 लाख 84 हजार से अधिक तो कपड़ा क्षेत्र से 16 लाख 43 हजार से अधिक। वहीं विविध श्रेणी से नौ लाख 94 हजार से अधिक कामगार हैं।
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