भागलपुर के पटा’खे गोदा’म में हुए बड़े हा’दसे में 14 लोगों की द’र्दनाक मौ’त के बाद बिहार की सबसे बड़ी पटा’खा मंडी पटना सिटी के लोग ड’रे स’हमे हैं। यहां घ’नी आबा’दी है और इसके बीच बारू’द के ढेर हैं। यदि किसी तरह की लाप’रवाही हो जाए तो बड़ा हा’दसा होने से इं’कार नहीं किया जा सकता है। यह गोदाम बगैर लाइ’सेंस के चलने के साथ सुरक्षा मानकों को ता’क पर रखकर संचा’लित हो रहा हैं।
ख़बरों के मुताबिक, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने पटना जिले में पटा’खा बनाने व बिक्री के स्थायी और अस्थाई ला’इसेंस पर रो’क लगा दिया है। यदि बाजार में पटा’खे की बि’क्री हो रही है तो वे गैर लाइसें’सी दुकानदार हैं।एडीएम विनायक मिश्रा ने बताया कि अनुमंडल पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि अपने-अपने क्षेत्र में हो रही पटा’खों की बिक्री व अवै’ध रूप से चल रहे गोदामों पर छा’पेमारी करें। 2019 के पहले पटना जिले में लगभग 800 दुकानदारों को पटा’खा बि’क्री के लिए अस्थाई ला’इसेंस दिया गया था। बता दें, 15 सितंबर 2005 का वह दिन खुसरूपुर की जनता कभी भूल नहीं सकती, जब दो धमा’कों से चारों तरफ ला’श बिख’र गई थी। उस घ’टना में करीब 40 से ज्यादा लोगों की मौ’तें हुई थीं। इनमें ज्यादातर छोटे बच्चे थे। हालांकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल 27 लोगों की मौ’त हुई थी और दो दर्जन से अधिक लोग गंभी’र रू’प से घा’यल हो गया थे। ये मौ’तें खुसरूपुर नगर के मियांटोली मुहल्ले में हकीम साहब नामक एक व्यक्ति के पटा’खा फै’क्ट्री में वि’स्फो’ट से हुई थी। यह फैक्ट्री अवै’ध रूप से चल रही थी।
नालंदा के सोहसराय थाना क्षेत्र के खासगंज में अवै’ध पटा’खे व बा’रूद से भरे मकान में भीष’ण विस्फो’ट हो गया था। धमा’का इतना तेज था कि पांच मकान पूरी तरह से ध्व’स्त हो गए थे। इस इस हा’दसे में तीन नवजात बच्चों समेत कुल 5 लोगों की मौ’त हो गई थी। इनमें से चार एक ही परिवार के थे। धमा’के के चलते 20 से अधिक लोग घा’यल भी हो गए थे। घट’ना के बाद नालंदा थाना प्रभारी को निलं’बित कर दिया गया था।तीन दशक पहले खाजेकलां थाने से सटे एक मकान सह पटा’खा गो’दाम में आ’ग गलने से सात लोगों की जा’न जा चुकी है। इसके बाद भी जिम्मेदार सुरक्षा को लेकर बेप’रवाह बने हुए हैं।
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