राजधानी पटना से बड़ी खबर आ रही है, जहां पद्मश्री शांति जैन की निधन हो गई है। बताया जाता है कि शांति जैन शनिवार की शाम 6 बजे खिचड़ी खाई, जिसके बाद तबीयत नासाज होने की वजह से वे कमरे में सोने चली गई। सुबह उनका शव कमरे में मिला। शांति जैन का ड्राइवर जब उनके घर पहुंचा, तब उनका दरवाजा नहीं खुला। उसने आस पास के लोगों को इकट्ठा किया और दरवाजा तोड़कर देखा तो शांति जैन अपने बेड पर पड़ी हुई थी।
जानकारी के अनुसार कोविड का टेस्ट कराने के लिए जाने वाली थीं, लेकिन उससे पहले ही उनका निधन हो गया। शांति जैन दो दिनों से खांसी और बुखार से पीड़ित थी। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुई है कि उनकी मौत किन कारणों से हुई है।
आपको बता दें कि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शांति जैन का जन्म 4 जुलाई 1946 को हुआ था, जिन्होंने एमए (संस्कृत एवं हिंदी) पीएचडी, डी.लिट, संगीत प्रभाकर की शिक्षा प्राप्त की। बिहार प्रदेश के भोजपुर जिले के आरा नगर में स्थित एचडी जैन कॉलेज से प्रोफेसर एवं संस्कृत की विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुई हैं। पिछले कई दशक से पटना (बिहार) में रह रही हैं। इनके पिता स्व. हेमराज जैन नौकरी के लिए बकस्वाहा से आरा गए हुए थे।साहित्य पर पकड़ के साथ-साथ उनकी मधुर आवाज डॉ. शांति जैन की पहचान रही है। 1970 के दशक में रेडियो पर उनका गाया रामायण बेहद लोकप्रिय हुआ था। जयप्रकाश नारायण जब बेहद बीमार होकर घर पर थे तो डॉ. शांति जैन उनके घर जाकर रोज रामायण सुनाया करती थीं।
डॉ. शांति जैन को वर्ष 2009 में संगीत नाटक अकादमी का राष्ट्रीय सम्मान राष्ट्रपति द्वारा मिला था, तो मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2008 में राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान दिया था। इसके अलावा केके बिड़ला फाउंडेशन द्वारा शंकर सम्मान, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नेशनल सीनियर फैलोशिप सम्मान, ऑल इंडिया रेडियो का राष्ट्रीय सम्मान, चैती पुस्तक के लिए बिहार सरकार का राजभाषा सम्मान और कलाकार सम्मान सहित अनेकों सम्मान प्राप्त हुए हैं।
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