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बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से लोजपा पूरी तरह साफ, इकलौते विधायक ने थामा जदयू का तीर

पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के नि‍धन के कुछ महीनों के अंदर ही उनकी पार्टी लोक जनशक्‍ति‍ पार्टी बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों से पूरी तरह साफ हो गई है। बिहार विधानसभा चुनाव 2021 में जीतने वाले लोजपा के इकलौते विधायक ने मंगलवार को औपचारिक तौर पर अपनी पार्टी छोड़ दी। हालांकि इसके कयास काफी पहले से लगाए जा रहे थे। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने बिहार में लोजपा के इकलौते चिराग को मंगलवार को बुझा दिया। इसी के साथ चुनाव के समय लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान द्वारा नियमित रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ तल्ख टिप्पणी का पूरा हिसाब जदयू ने चुकता कर दिया। कुछ ही हफ्ते पहले बिहार विधान परिषद में लोजपा की एकमात्र विधान पार्षद नूतन सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थीं। अब बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में लोजपा का कोई प्रतिनिधि नहीं है। लोजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष चिराग पासवान के लिए यह निश्चित तौर पर काफी चुनौतीपूर्ण दौर है।

बेगूसराय जिले के मटिहानी से विधायक राज कुमार ने थामा जदयू का तीर
बिहार में लोजपा के एकमात्र विधायक थे राजकुमार सिंह जो अब जदयू में शामिल हो गए। लोजपा विधायक दल का मंगलवार को जदयू में विलय हो गया। लोजपा के इकलौते विधायक राजकुमार सिंह ने जदयू की सदस्यता ली और इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भेंट की। इस मौके पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी, लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह व भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी भी मौजूद थे। राजकुमार सिंह बेगूसराय से मटिहानी के विधायक हैं। विधानसभा सचिव ने इस विलय को वैधानिक मान्यता दे दी है।

चुनाव के ठीक बाद से जदयू में जाने की तैयारी में थे राजकुमार
लंबी अवधि से राजकुमार सिंह के जदयू में आने की चर्चा थी। कुछ दिन पहले उन्होंने भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी से भेंट की थी। वह नियमित रूप से यह कह रहे थे कि नीतीश कुमार के कार्यों के वह प्रशंसक हैैं। विधानसभा के बजट सत्र में भी वह नीतीश कुमार के समर्थन में खड़े थे।

विधानसभा सचिव ने लोजपा विधायक दल के विलय को दी मंजूरी
विधानसभा सचिव ने पांच अप्रैल को ही लोजपा विधायक दल के जदयू में विलय के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह ने स्वयं विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित होकर खुद को जदयू विधायक के रूप में मान्यता दिए जाने का अनुरोध किया था। इस संबंध में जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा व सत्ताधारी दल के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने भी विलय की सहमति की सूचना विधानसभा सचिव को दी थी।

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