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मुजफ्फरपुर से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का कैसा था रिश्ता ..? जानें

मुजफ्फरपुर: लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के गीता रहस्य लिखने का मुजफ्फरपुर माध्यम बना था। मुजफ्फरपुर से उनका गहरा लगाव था। दो बार उनके यहां आने के प्रमाण मिलते हैं। खुदीराम बोस के बम ब्लास्ट पर तिलक ने लेख लिखा था, जिसे लेकर उनको काला पानी की सजा मिली थी। जिले में 19 सितम्बर से स्वराज पर्व की तैयारी के साथ तिलक के राष्ट्रीय आंदोलन के जनजागरण को भी साहित्यकार-इतिहासकार याद करते हुए यह बयां करते हैं।

How did Bal Gangadhar Tilak become Lokmanya British officers were afraid of  Lal-Bal-Pal trio - India Hindi News - कैसे बाल गंगाधर तिलक बन गए लोकमान्य?  लाल-बाल-पाल की तिकड़ी से घबराते थे

लोकमान्य तिलक पर उपन्यास लिखने वाले साहित्यकार डॉ. संजय पंकज बताते हैं कि पहली बार बंगाल जाने के समय वे मुजफ्फरपुर आए थे। स्वतंत्रता आंदोलन के जनजागरण अभियान चलाने के दौरान वे यहां आकर तमाम बुद्धिजीवियों से मिले थे। डॉ. पंकज बताते हैं कि खुदीराम बोस के बम ब्लास्ट के समर्थन में उन्होंने लेख लिखा। इसपर उन्हें माफी मांगने को कहा गया। उनपर आतंकवाद को बढ़ाने का आरोप लगा। तिलक ने कहा कि भारतीय स्वाभिमान के लिए यह बम ब्लास्ट उचित है। इसके बाद उन्हें काला पानी की सजा सजा सुनाई गई। मांडले जेल में छह साल तक रखा गया। वहीं रहते हुए श्रीमदभगवत गीता के कर्मयोग का प्रामाणिक ग्रंथ गीता रहस्य लिखा। यह गीता के कर्मयोग का प्रामाणिक विश्लेषण है।

डॉ. पंकज ने अपने उपन्यास में तिलक के मुजफ्फरपुर के प्रवास को विशेष रूप से दर्शाया है। वे कहते हैं कि इसलिए यह माना जाता है कि गीता रहस्य लिखने का माध्यम कहीं ना कहीं मुजफ्फरपुर बना। लोकमान्य तिलक के परपोते दीपक तिलक ने  बातचीत में कहा कि मुजफ्फरपुर से उनका गहरा लगाव रहा है। कई पुस्तकों में उनके खुदीराम बोस के बम ब्लास्ट और खुदीराम के स्वतंत्रता संग्राम के समर्थन के प्रमाण मिलते हैं।

जब दो दिनों तक रामदयालु बाबू ने उन्हें रखा था छिपाकर

डॉ.पंकज और संजीव साहू बताते हैं कि बीसवीं शताब्दी के पूर्वाध में उनका एक बार मुजफ्फरपुर आना हुआ। इस दौरान उनके पैर में घाव हो गया था। चलना-फिरना मुश्किल था, मगर लोगों का तांता लगा रहता। ऐसे में रामदयालु बाबू ने उन्हें दो दिनों तक छुपाकर रखा लोकमान्य तिलक जल्द स्वस्थ हो जाएं।

 

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