पटना: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले यानी सीपीआई एमएल के 11वें महाधिवेशन की गुरुवार को पटना के एसकेएम सभागार में शुरुआत हुई। इसमें देश और विदेश की विभिन्न वामपंथी दलों के नेताओं ने शिरकत की। भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ बोलने वालों का दमन किया जा रहा है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया बीबीसी को भी नहीं छोड़ा। देश में सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतें बढ़ रही हैं। अमीर और अमीर बन रहे हैं, गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। इसके लिए विपक्ष को एकजुट होना पड़ेगा।
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने अधिवेशन में आए प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने स्वागत भाषण में कहा कि फासीवाद के खिलाफ लड़ाई में बिहार हर मोर्चे पर खड़ा है। यहां से एक नई दिशा निकलेगी। इसके बाद उद्घाटन सत्र में देश के कई कम्युनिस्ट दलों के नेता मंच पर मौजूद रहे। इस खुले सत्र में सभी ने मोदी सरकार को फासीवादी और तानाशाही बताते हुए 2024 में हटाने का आह्वान किया।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि भारत में आर्थिक असमानता बढ़ रही है। कोरोना काल में अडानी-अंबानी और अमीर बन गए, गरीब और गरीब हो गए। सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की जरूरत है। देश के संघीय ढांचे को बर्बाद किया जा रहा है। इन सबके खिलाफ लंबी लड़ाई लड़नी है। इस अधिवेशन से विपक्षी एकता को नया मोड़ मिलेगा। उन्होंने फासीवाद मिटाने और 2024 में मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया।
भाकपा माले के अधिवेशन में नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री ईश्वर पोखरेल ने भी शिरकत की। उन्होंने भारत और नेपाल के बीच संबंधों को प्रगाढ़ बताया। उन्होंने भारत और नेपाल में कम्युनिस्ट आंदोलन को याद किया और कहा कि नेपाली नेताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय जनता ने भी नेपाल के लोकतंत्र आंदोलन के बीच सहयोग किया। साथ ही नेपाल के चुनाव पर चर्चा करते हुए पोखरेल ने कहा कि यह संघर्ष की जीत है। आज वहां हम सबसे लोकप्रिय और बड़ी पार्टी हैं। आप भी संघर्ष करें सफलता मिलेगी।
रिवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार हर बात में तानाशाही रवैया अपना रही है। हिंदी, हिंदू, हिन्दुस्तान का नारा बुलंद कर रही है। यह नहीं होने दिया जाएगा। भारत में कई बोलियां और भाषाएं हैं। इसमें हिंदी भी एक है। तमिलनाडु और दक्षिण राज्यों की बोली अलग है। वहां आप कैसे हिंदी थोप सकते हैं। इसी तरह केंद्र सरकार के खिलाफ बोलने वाले हर व्यक्ति को जेल में ठूंसा जा रहा है। इन सबके खिलाफ आवाज बुलंद करनी होगी।
भाकपा माले के खुले अधिवेशन को कई कम्युनिस्ट दलों के नेताओं ने संबोधित किया। इनमें सीपीआई राष्ट्रीय सचिव मंडल के सदस्य पल्लव सेन गुप्ता, सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य और पश्चिम बंगाल के सचिव मो. सलीम, मार्क्सवादी समन्वय समिति के महासचिव हलधर महतो, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव देवराजन, लाल निशान पार्टी के महासचिव भीमराव बंसोड, आरएमपीआई संस्थापक मंगत राम पासला और अन्य शामिल हैं।
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