बिहार से बाहर दूसरे राज्यों में काम करने के दौरान मौ’त होने पर प्रवासी मजदूरों के परिजनों को मिलने वाला अनुग्रह अनुदान दोगुना करने की तैयारी है। अब तक प्रवासी मजदूरों की मौ’त होने पर सरकार एक लाख रुपए उनके परिजनों को दे रही है। इसे दो लाख करने की तैयारी है। श्रम संसाधन विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जल्द इसकी मंजूरी राज्य कैबिनेट से ली जाएगी। इसके बाद यह निर्णय अमल में आ जाएगा।
बिहार में काम करने के दौरान मौ’त होने या विक’लांग होने पर राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ दिया जाता है। लेकिन, दूसरे राज्य में काम करने के दौरान मजदूरों की मौ’त होने पर उन्हें सरकारी राहत श्रम संसाधन विभाग देता है। प्रवासी मजदूरों के परिजनों को बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घ’टना अनुदान योजना के तहत अनुग्रह अनुदान मिला करता है। विभाग इस योजना में अन्य प्रावधानों को भी बदलने की तैयारी कर रहा है।मौ’त के अलावा विक’लांग होने पर भी मजदूरों को नकदी दी जाती है। प्रवासी मजदूरों में अगर कोई स्थाई रूप से विक’लांग हो जाता है तो ऐसे प्रवासी मजदूरों को अभी 75 हजार रुपए दिए जाते हैं। इस राशि को भी एक लाख करने की तैयारी है। जबकि अस्थाई विक’लांगता होने पर प्रवासी मजदूरों को 37 हजार 500 रुपए दिए जाते हैं। इस राशि को भी बढ़ाकर 50 हजार करने का प्रस्ताव है।बिहार के कितने मजदूर दूसरे राज्यों में काम करते हैं, इसका कोई वैधानिक आंकड़ा सरकार के पास नहीं है। लेकिन बीते वर्षों में एक गैर सरकारी सं गठन ने बिहार के मजदूरों पर अध्ययन रिपोर्ट प्रकाशित किया था। इसके अनुसार बिहार के मजदूर अब पंजाब में खेती करने के बजाए सूरत, मुम्बई, दिल्ली आदि शहरों में औद्योगिक इकाइयों में काम करने के लिए अधिक जाने लगे हैं।जीविका के लिए पलायन करने वालों में 36 फीसदी एससी-एसटी समुदाय से तो 58 फीसदी ओबीसी समुदाय के लोग होते हैं। यही नहीं, पलायन करने वालों में 58 फीसदी प्रवासी गरीबी रेखा से नीचे हैं। रिपोर्ट के अनुसार पलायन करने वालों में 65 फीसदी के पास खेती के लिए जमीन नहीं हैं।
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