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कोरोना संकट के बीच लालू यादव को मिल सकती है बड़ी राहत, जेल से आ सकते हैं बाहर

देशभर में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच जेल में बंद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को बड़ी राहत मिल सकती है। वे जेल से बाहर आ सकते हैं। सरकार उन्हें पैरोल देने पर विचार कर रही है। जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर पैरोल दिया जा सकता है। राज्य सरकार के मंत्री बादल ने इस बात की पुष्टि भी की है। बादल के मुताबिक पैरोल को लेकर राज्य सरकार ने कारा विभाग से बातचीत की है।  बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे से निपटने के लिए जेल प्रशासन को सजायाफ्ता कैदियों के पैरोल देने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया था।

तबीयत ठीक नहीं रहती :

लालू यादव की तबीयत ठीक नहीं चल रही है। इस वजह से वह रिम्स के पेईंग वार्ड में भर्ती हैं। कुछ दिनों पहले ही आठ सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने रिम्स में चल रहे लालू प्रसाद के इलाज की समीक्षा की थी। इसमें तय हुआ था कि  लालू प्रसाद यादव को बेहतर इलाज के लिए फिलहाल एम्स, नयी दिल्ली नहीं भेजा जाएगा। उनके किडनी रोगों की जांच के लिए एम्स नयी दिल्ली से एक नेफ्रोलॉजिस्ट बुलाया जाएगा। नेफ्रोलॉजिस्ट यदि उन्हें इलाज के लिए रिम्स से बाहर भेजने की बात कहते हैं तब उस दिशा में कार्रवाई की जाएगी। रिम्स अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप ने बताया लाईन ऑफ ट्रीटमेंट, दी जा रही दवाएं और प्रोटोकॉल देखने के बाद मेडिकल बोर्ड रिम्स में चल रहे उनके इलाज से संतुष्ट है। डॉ कश्यप ने बताया कि बोर्ड ने पाया है कि लालू प्रसाद सीकेडी (क्रोनिक किडनी डिजीज) स्टेज 3 के मरीज हैं। साथ ही अन्य कई बीमारियां भी है। चूंकि रिम्स में कोई नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं हैं। इसलिए मेडिकल बोर्ड ने बाहर के किसी नेफ्रोलॉजिस्ट को बुलाकर सेकेंड ओपीनियन लेने का निर्णय लिया है। या बाहर में किसी नेफ्रोलॉजिस्ट के पास भेजकर भी राय ली जा सकती है।

क्यों जेल में हैं लालू :

साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर अवैध ढंग से 89 लाख, 27 हजार रुपये निकालने के आरोप में सजा भुगत रहे हैं। इस दौरान लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे।  हालांकि, ये पूरा चारा घोटाला 950 करोड़ रुपये का है, जिनमें से एक देवघर कोषागार से जुड़ा केस है। इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्टूबर 1997 को मुकदमा दर्ज किया था।  लगभग 20 साल बाद इस मामले में फैसला सुनया गया था। इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये अवैध ढंग से निकालने के चारा घोटाले के एक दूसरे केस में सभी आरोपियों को सजा हो चुकी है।

Source: Hindustan

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