बिहार के शहरों में कचरा एक समस्या के रूप में तेजी से उभर रहा है। समय के हिसाब से इसकी मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है। यही वजह है कि इसका सीधा प्रभाव वातावरण पर पड़ रहा है। इस कारण अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) द्वारा कृषि समेत अन्य अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन के लिए जरूरी कवायद कर रहा है, ताकि शहर से लेकर कृषि से निकलने वाले अपशिष्ट का उपयोग किया जा सके। इसके लिए गोवा के अपशिष्ट प्रबंधन निगम द्वारा तैयार मॉडल पर बीएयू का काम करेगा। इसके लिए वैज्ञानिकों की एक टीम को गोवा भेजा गया था जो इस मॉडल पर काम को आगे बढ़ाएगी।
बीएयू के कुलपति प्रो. दुनिया राम सिंह ने हाल ही में संपन्न प्रसार शिक्षा की बैठक में वैज्ञानिकों को इस बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि खेतों का अपशिष्ट जैसे पराली समेत शहरों से निकलने वाला कचरा वातावरण के लिए घातक है। इस कारण बीएयू इस पर भी काम कर रहा है। उनके निर्देश पर ही बीएयू के एक वैज्ञानिकों का दल गोवा स्थित अपशिष्ट प्रबंधन निगम का दौरा कर वहां की गतिविधियों को देखा है। साथ ही जानकारी जुटाई है कि वहां किस तरह एक चैनल से निगम काम करता है, जिससे कचरा को समस्या नहीं अवसर में बदला जा रहा है। इसकी रिपोर्ट वैज्ञानिकों के दल ने संबंधित विभाग को सौंपी है।
बीएयू के एक वैज्ञानिक ने बताया कि गोवा में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जो प्रक्रिया की जाती है। उस माध्यम से पुनर्चक्रण योग्य पदार्थ, बिजली, तरल उर्वरक, खाद आदि का भी उत्पादन होता है। साथ ही इसके माध्यम से बायोगैस भी तैयार की जाएगी। कचरा उठाते समय भी सतर्कता की जाती है। जैसे गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया होती है।
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