बुजुर्गों ने ठीक कहा है कि उड़ा पंखों से नहीं बल्कि हौसले से होती है। बिहार के मुजफ्फरपुर की 8 साल की एक दिव्यांग बेटी का हौसला काबिल ए तारीफ है।
इस बेटी को दोनों पैर सड़क दुर्घटना में कट चुके हैं। लेकिन आज भी व न सिर्फ चलती फिरती है बल्कि मन से पढ़ाई भी करती है। दोनों पैरों से दिव्यांग बेटी शिप्रा पढ़ लिखकर वह कलेक्टर बनना चाहती है।
जिले के पूर्वी अनुमंडल अंतर्गत मीनापुर प्रखंड के बनघारा गांव निवासी शैल कुमार दास की बेटी है शिप्रा। पिता मजदूरी करते हैं और वह गांव के स्कूल में पढ़ती है। दोनों पैर नहीं होने पर वह कभी हाथ तो कभी सिर के बल चलती है। अपना सारा काम वह खुद करती है। पिता शैल दास हरदिन उसे साइकिल पर बैठाकर स्कूल लाते और ले जाते हैं। तमाम परेशानियों के बीच वह अपने क्लास में अच्छा परफॉर्म करती है।
शिप्रा के पिता शैल दास उस मसहूस दिन को याद कर रोने लगते हैं जब सड़क दुर्घटना में उसके दोनों पैर चले गये थे। साल 2018 के दिसम्बर महीने में बालू लदे ट्रक ने उसे कुचल दिया था। शिप्रा उस समय पांच साल की थी और अपने स्कूल जा रही थी। उसका एक पैर घटना स्थल पर ही अलग हो गया जबकि दूसरा भी बुरी तरह डैमेज था। उसे एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया जहां से बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया गया। इलाज के दौरान डॉक्टर उसका दूसरा पैर भी नहीं बचा सके।
आज शिप्रा अपने इलाके में सबकी लाडली है। जुबान पर एक ही बात है- मुझे पढ़ना है। पढ़कर क्या करोगी- इस सवाल पर तपाक से कहती है- यूपीएसी करके कलेक्टर बनना है।
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