Press "Enter" to skip to content

मरीजों से लूट : दो किमी दूर अस्पताल और एम्बुलेंस का किराया चार हजार

महामारी के इस दौर में भी निजी एम्बुलेंस चालक मरीजों को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने का मनमाना किराया वसूल रहे हैं। महज दो किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस चालक चार हजार रुपये तक की मांग कर रहे हैं। मोलभाव का तो सवाल ही नहीं है। भुगतान करिए नहीं तो मरीज ले जाने से इनकार कर दे रहे हैं। वहीं, सरकारी अस्पताल में संक्रमित मरीज के पांच से छह घंटे केवल एम्बुलेंस के इंतजार में ही बीत जा रहे हैं। इसके बाद भी एम्बुलेंस मिलने की गारंटी नहीं है।

जिले में इस समय कोरोना संक्रमितों का दबाव है। लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। आसपास के जिलों के भी मरीज बड़ी संख्या में बेहतर चिकित्सा सुविधा पाने के लिए यहां आ रहे हैं। ऐसे में निजी एम्बुलेंस चालक उनसे मनमाना किराया वसूल रहे हैं। कई बार तो मरीज की स्थिति पर भी किराया तय होता है। वैसे आमतौर पर दो-तीन किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचाने के लिए बिना ऑक्सीजन की सुविधा वाले एम्बुलेंस का तीन हजार रुपये और ऑक्सीजन की सुविधा वाले चार हजार रुपये तक वसूल रहे हैं। मरीज के लाचार परिजन यह देने के लिए विवश भी हैं। नॉन कोविड मरीजों को भी अस्पताल जाने में अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है। किराया कम करने की बात पर एम्बुलेंस चालक दो टूक कहते हैं कि दूसरा ढूंढ़ लीजिए।

संक्रमित फिर भी एम्बुलेंस के लिए इंतजार

कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल में इस समय गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ गई है। वहां की इमरजेंसी में रोज 75 से 100 मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें जिन लोगों की जांच होती है, उसमें 40-50 की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की व्यवस्था की जाती है। इसके लिए शासकीय एम्बुलेंस आती है। एम्बुलेंस के इंतजार में वहां पर पांच-पांच घंटे तक लोग इंतजार करते हैं। कबीरचौरा निवासी 58 वर्षीय महिला की रिपोर्ट बुधवार को सुबह पॉजिटिव आई। एम्बुलेंस की व्यवस्था उनके लिए दोपहर में तीन बजे हुई। इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती किया जा सका। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में बेड की व्यवस्था में देर हुई।

कोविड के लिए 15 एम्बुलेंस रिजर्व, फिर भी दिक्कत

कोविड मरीजों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 15 एम्बुलेंस रिजर्व की है। इसके साथ ही निजी अस्पताल की एम्बुलेंस का भी जरूरत पर उपयोग किया जाता है। इसके बाद भी कमी बनी हुई है। कबीरचौरा अस्पताल में लोगों को एम्बुलेंस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है।

चंद कदम की दूरी का मांगा चार हजार : हुकुलगंज के राधा कटरा निवासी 25 वर्षीय हिमांशु की अचानक तबीयत खराब हो गई। उनकी पत्नी ने अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस चालक को फोन किया और शुभम हॉस्पिटल चलने की बात कही। इस पर चालक ने महज दो किलोमीटर दूर ले जाने के लिए उनसे चार हजार रुपये मांगे। साथ में यह भी कहा कि जाना-आना दोनों है तो 6 हजार रुपये दे दीजिएगा। इस पर उन्होंने मना कर दिया और ऑटो से लेकर गईं।

पांडेयपुर से सिगरा तक के सात हजार : काशी व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष राकेश जैन के परिवार में किसी की तबीयत खराब हो गई थी। उन्होंने एम्बुलेंस चालक को फोन किया और कहा कि पांडेयपुर से सिगरा एक निजी अस्पताल में चलना है। चालक ने सात हजार रुपये की मांग की। दबाव बनाने पर वह चार हजार में मान गया। राकेश जैन ने और कम करने को कहा तो इनकार कर दिया। उन्होंने पुलिस कमिश्नर कार्यालय में इसकी शिकायत भी की है।

बॉडी ले जाने के मांगे 12 हजार रुपये : गाजीपुर जिले के नंदगंज निवासी अफरोज खान अपने 84 वर्षीय पिता नमरोज खान को बनारस के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए लाए थे। उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी। उनकी अस्पताल में मौत हो गई। जिस वाहन से आए थे वह खराब हो गया। उन्होंने एक एम्बुलेंस चालक से डेड बॉडी गाजीपुर ले चलने की बात की तो उसने 12 हजार रुपये मांगे। उन्होंने मना कर दिया। बाद में गांव से गाड़ी मंगाई और बॉडी ले गए।

Share This Article
More from UTTAR PRADESHMore posts in UTTAR PRADESH »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *