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तिलकुट की सोंधी खुशबू से महक उठा बाजार, मकर संक्रांति को लेकर गुड़ और तिल की बढ़ी डिमांड

नए साल का आगमन हो चुका है. रामगढ़ कोयलांचल में जगह-जगह तिलकुट से बनाए गए मिष्ठान की दुकानें सज गई हैं. थोक खुदरा व्यापारी रोज तड़के से ही तिलकुट अन्य मिठाइयां बनाने में जुट जाते हैं. फिर दिन चढ़ते ही तिलकुट की दुकानों में ग्राहकों की आमद बढ़ने लगती है. देर शाम तक इन दुकानों पर लोगों की भीड़ लगी रहती है। रामगढ़ के विभिन्न बाजारों में तिलकुट तिल से बनी अन्य मिठाइयां आदि उपलब्ध हैं. तिलकुट बनाने का काम दिसम्बर के आखिरी पखवाड़े से ही शुरू हो जाता है और मकर संक्रांति तक चलता है. जाड़े में तिलकुट की बिक्री भी खूब होती है. मकर संक्रांति के दिन चूड़ा दही और तिलकुट खाने की परंपरा है।
तिलकुट व्यवसायी इस रिवाज को भुनाने में लगे है. दुकानदारों ने भी मकर संक्रांति की तैयारी शुरू कर दी है. लोगों की मांग को देखते हुए दुकानदारों ने अपने दुकान में उनके जरूरत तक के सामान उपलब्ध करा रहें हैं. मकर संक्रांति के दिन चूड़ा दही और तिलकुट खाने की परंपरा है. IMG-20241030-WA0000-1024x682-2-1.jpg (1024×682)तिलकुट व्यवसाय से जुड़े कारीगर ने तिलकुट बनाने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पहले चासनी करते हैं, खुटा में उसको फेंटते हैं, पूरा सफेद पन करते है, गुड़ को पूरा पीटते है, फिर तिल वाली हड़िया में डालते है.गया का तिलकुट और रामगढ़ का तिलकुट में कोई अंतर नहीं है. यहां भी अच्छे कारीगरों से कुटाया जाता है, लोकल मंडी में बेस्ट परफॉर्मेंस देने का प्रयास करते है.

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