देवोत्थान एकादशी आज। इसको लेकर घर से मंदिरों तक तैयारी की जा रही है। देवोत्थान एकादशी के बाद विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। इस वर्ष के अंतिम दो माह में कुल 16 लग्न मुहूर्त हैं। देवोत्थान एकादशी पर विभिन्न ठाकुरबाड़ी में तुलसी शालीग्राम के विवाह की तैयारी शुरू हो चुकी है। गरीबनाथ मंदिर, साहू पोखर मंदिर, गोला रोड कमलेश्वर नाथ मंदिर, रामदयालु मुक्तिनाथ मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भव्य तैयारी की जा रही है।
पंडित ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। रात्रि में मंदिर व ठाकुरबाड़ी में धूमधाम से पूजा की जाएगी। देवोत्थान एकादशी की रात भगवान विष्णु की सर्वतोभद्र मंडल वेदी पर विराजमान किया जाएगा। इसके बाद गणेश, अम्बिका, वरुणदेवता समेत नवग्रहों की पूजन के पश्चात षोडशोपचार विधिपूर्वक भगवान विष्णु का पूजन किया जाएगा। ईख, अनार, केला, सिंघाड़ा आदि ऋतुफल अर्पण कर ढोल-मृदंग बजाकर भगवान की आरती की जाएगी। इसके के बाद भक्तों के बीच पंचामृत का वितरण किया जाएगा।
देवोत्थान एकादशी पर उपवास का विशेष महत्व :
धर्म समाज संस्कृत कॉलेज के वेद विभागाध्यक्ष डॉ. शशि रंजन कुमार पांडेय ने बताया कि मंगलवार को देवोत्थान श्री हरि प्रबोधिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। व्रत का पारण बुधवार सुबह 6:35 के बाद तुलसी पत्र से होगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार मास शयन के उपरांत जागते हैं। इस एकादशी पर उपवास रहने का विशेष महत्व है।
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