मुजफ्फरपुर के ब्राह्मण टोली महामाया बाबू लेन दुर्गा स्थान में मां दुर्गा के नेत्र मंगलवार की देर संध्या में खुल गए। मां दुर्गा का बिल्वामंत्रण, आवाहन, बोधन, आमंत्रण एवं अधिवास के साथ पूजन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आचार्य ने कराया। वही पूजन के बाद माता को भोग लगाकर महाआरती की गई।
पूजन के दौरान भगवती को वर्षा का जल, विभिन्न तीर्थों का जल, समुद्र का जल, ओस के जल के साथ-साथ 44 प्रकार की मिट्टी से भी स्नान कराया गया. आचार्य ने बताया कि मुजफ्फरपुर शहर के सबसे प्राचीनतम शारदीय दुर्गा पूजा ब्राह्मण टोली दुर्गास्थान स्थित पंडित महामाया प्रसाद मिश्र के निवास स्थान पर विगत साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व से लगातार पूजा होती आ रही है।
उन्होंने आगे बताया कि सदियों से मां की प्रतिमा एक जैसी ही रहती है. मां दुर्गा, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, भगवान कार्तिकेय, भगवान गणेश, माथे पर भगवान शिव के साथ-साथ महिषासुर के साथ रहती है और यहां आज भी हस्तलिखित पूजा पद्धति पांडुलिपि में उपलब्ध है।
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