मुजफ्फरपुर: लॉकडाउन के कारण देश के दूसरे प्रदेशों में रहनेवाले बिहार के प्रवासी मजदूरों की जिंदगी बड़ी कष्ट में गुजरी है. गुरुवार को महाराष्ट्र के नागपुर से श्रमिक स्पेशल ट्रेन मुजफ्फरपुर जंक्शन पहुंची. इस ट्रेन से मुजफ्फरपुर सहित बिहार के विभिन्न जिले के एक हजार से अधिक प्रवासी मजदूर पहुंचे. महाराष्ट्र से ट्रेन आने के बाद प्रवासी मजदूर इतना भावुक हो गये कि प्लेटफॉर्म पर लेट गये और धरती को चूमने लगे़
मोतिहारी के कोटवा निवासी कृष्ण कुमार डेढ़ दर्जन साथियों के साथ झोला, बैग व पानी का डिब्बा लिये प्लेटफॉर्म से बाहर निकले. ये सभी एक बड़ी कंस्ट्रक्शन एजेंसी में राजमिस्त्री व लेबर का काम करते थे. सभी ने एक साथ कहा कि अब नमक-रोटी खाकर गुजारा कर लेंगे, पर दूसरे प्रदेश कमाने नहीं जायेंगे़ बताया कि जिस तरीके से लगभग डेढ़ महीने का समय कटा है. इसे जीवन में कभी नहीं भूल सकते हैं. मजदूरों ने बताया कि नागपुर से कुछ किलोमीटर दूर में पिपला जगह है. जहां ये लोग रहते थे. उस इलाके को रेड जोन घोषित करते हुए इनके कमरे की बगल के सरकारी स्कूल को क्वारेंटिन सेंटर बना दिया गया था. एक कमरे में 14 लोग जेल की तरह रहते थे.
कोरोना का भय नहीं, चेहरे पर थी अपनों से मिलने की खुशीमधुबनी. विभिन्न राज्यों में काम करने गये मजदूरों को कोरोना महामारी ने अपनी मातृभूमि की अहमियत बता दी है. जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर रहिका के तेलिया पोखर टोले में स्थित स्कूल में क्वारेंटिन हुए 53 मजदूरों ने एक स्वर में कहा कि अब वे लोग किसी भी परिस्थिति में परदेस नहीं जायेंगे. यहीं मातृभूमि में रहकर अपनी जीविका तलाश कर अपने परिवार का भरण-पोषण करेंगे. केरल, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, किशनगंज सहित देश के अन्य प्रदेशों से आये 53 प्रवासी मजदूरों को क्वारेंटिन किया गया है. गृह प्रखंड पहुंचे प्रवासी मजदूरों के चेहरे पर सुकून दिखा.
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