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यूक्रेन से चार देशों के रास्ते मुजफ्फरपुर लौटे अबतक इतने छात्र, जानें

यूक्रेन-रूस जं’ग के बीच भारत सरकार ‘ऑपरेशन गंगा चलाकर छात्रों को वापस ला रही है। इसी क्रम में पिछले चार दिनों में मुजफ्फरपुर के 35 छात्र-छात्राओं को रोमानिया, स्लोवाकिया, पोलैंड व हंगरी से सकुशल लाया गया है और नौ छात्र-छात्राएं रोमानिया, स्लोवाकिया, पोलैंड बॉर्डर पर पहुंच चुके हैं। इनकी भी रविवार व सोमवार तक वतन वापसी हो सकती हैं।

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हालांकि, अब भी दो छात्र श्यामल मणि व विवेक प्रियम यूक्रेन में फंसे हैं। डीएम कंसल्टेंट ने बताया कि शुक्रवार की रात व शनिवार को जिले के 16 छात्र-छात्राएं यूक्रेन से वापस लौटे हैं। नौ बॉर्डर पर पहुंच गए हैं। बॉर्डर पार भी कर लिया है। भारतीय शिविर व होटल में ठहरे हैं।

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वहीं, अहियापुर के श्यामल यूक्रेन के सूमी व शहर के दीवान रोड के विवेक प्रियम खारकीव में फं’से हैं। दोनों को रेस्क्यू करने के लिए विदेश मंत्रालय के स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। दोनों बहुत जल्द वापस लाए जाएंगे। इनके परिजन जिला आपदा विभाग के संपर्क में हैं। उनको पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है।मिली जानकारी के मुताबिक, श्यामल मणि के पिता अधिवक्ता शत्रुघ्न साह ने जिला प्रशासन, विदेश मंत्रालय व यूक्रेन में भारतीय दूतावास के अधिकारी से बेटे को वापस लाने के लिए गुहार लगाई है। श्यामल के साथ पटना के दानापुर के भी छात्र फं’से हैं। सभी छात्र कॉलेज के हॉस्टल के बंकर में हैं। परिजन के संपर्क में हैं। उनलोगों के पास अब एक से दो दिन का ही खाना बचा है।ख़बरों के मुताबिक, मिठनपुरा के नारायण प्रसाद के पुत्र कुमार सौरभ ने बताया कि वह पहले साल का छात्र है। शुक्रवार की रात घर लौटा है। यूक्रेन में कुछ भी ठीक नहीं था। रोमानिया बॉर्डर पार करने में दो दिन लग गए। रोमानिया में सब ठीक है। इसके लिए भारत सरकार को धन्यवाद। वहीं, स्वामी सहजानंद नगर के मनोज कुमार यादव के पुत्र यशस्वी भी यूक्रेन से लौटे हैं। उसने बताया कि यूक्रेन के हालात बेहद खरा’ब हैं।शुक्रवार की रात कांटी के कलवारी पहुंचे कुणाल किशोर का पिता नवीन कुमार शर्मा ने पटना एयरपोर्ट पर जोरदार स्वागत किया। हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की कोशिशों से उनका बेटा लौटा है। सबकुछ ठीक रहेगा तो पुनः पढ़ाई पूरा करने यूक्रेन जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका बेटा रोमानिया चेकपोस्ट पर 14 घंटे माइनस चार डिग्री तापमान में खड़ा रहा। बर्फीली हवा चलती रही।

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भारतीय वॉलिंटियर और कुछ स्थानीय लोगों ने चाय, ब्रेड और कंबल दिया। इससे कुणाल को राहत मिली। यूक्रेन बॉर्डर पार करने के बाद रोमानिया पहुंचते ही भारतीय दूतावास ने खाने-पीने की व्यवस्था की। वहां से भारतीय शेल्टर में ले जाकर रखा गया। इसके बाद फ्लाइट से मुंबई भेजा।  फिर वहां से पटना तक लाया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए आने वाले समय में उनकी पढ़ाई के लिए दोबारा कदम उठाने की जरूरत है।

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