ड्रोन से खाद, बीज व कीटनाशकों का छिड़काव ही नहीं बल्कि फसल की निगरानी भी की जाएगी। साथ ही गांवों में उद्यमिता को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार किसान समूह यानी फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनियों को 75 प्रतिशत अनुदान देगी।
कस्टमर हायरिंग सेंटर के युवाओं को 40 प्रतिशत और कृषि से स्नातक युवाओं को 50 प्रतिशत अनुदान देकर उद्यमियता को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे गांवों में रोजगार के नये द्वार खुलेंगे। किसान विज्ञान केंद्र और कृषि विश्वविद्यालय को 100 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। कृषि स्नातक युवा किसानों को किराये पर ड्रोन उपलब्ध करा सकेंगे। ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए राज्य के सभी जिलों में ड्रोन से खाद, बीज और कीटनाशकों के छिड़काव का प्रदर्शन किया जा रहा है। किसान, युवा और कस्टमर हायरिंग सेंटर को ड्रोन उपलब्ध कराने का काम कृषि व ऑर्गेनिक कंपनी को दिया गया हैं।
अभी कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से भोजपुर, आरा, बक्सर, रोहतास में प्रदर्शन किया जा चुका है। कंपनी के प्रबंध निदेशक राधेश्याम सिंह बताते हैं कि ड्रोन के इस्तेमाल से न केवल खेती को सुगम बनाया जाएगा, बल्कि खेती में लागत और समय को कम किया जा सकेगा। खाद, बीज और कीटनाशकों के छिड़काव के दौरान स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम किया जा सकेगा। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सभी जगहों पर इसका बढ़ावा दिया जाना है। ड्रोन की सहायता से छह मिनट में एक एकड़ भूमि में खाद और कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकेगा। खेती में कम लागत लगेगी। इससे खाद की मात्रा कम लगेगी क्योंकि हाथ से खाद छिड़काव के दौरान कहीं ज्यादा कहीं कम खाद गिरते हैं। इससे फसलों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। यही नहीं दूसरा कारण यह है कि खेत में जाकर दानेदार यूरिया का छिड़काव किया जाता है। इससे फसलों को भी नुकसान पहुंचता है। इसके साथ ही मजदूर की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सही मात्रा में यूरिया और कीटनाशकों का छिड़काव होने से फसलों की पैदावार अच्छी होगी। समय की बचत होगी। पानी की बचत होगी। क्योंकि चार लीटर में कीटनाशकों घोलकर छिड़काव किया जाता है। ड्रोन से करने पर मात्र एक लीटर पानी की आवश्यकता होती है। गांव स्तर पर उद्यमियता को बढ़ावा मिलेगा। एक जगह से ही 500 मीटर रेडियस में छिड़काव कर सकते हैं। दिनभर में 30 एकड़ खेत में कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है।
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