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श्रद्धांजलि: आर्य समाज के प्रतीक, अनुसरणीय, व गौरव आर्य रत्न पन्ना लाल आर्य

व्यापार और अपार समाज सेवा का अनोखा संगम शहर मुजफ्फरपुर के साथियों ने निहारा था । आर्य रत्न पन्ना लाल आर्य के पल पल के जीवन में, जो भी उनसे मिला उनका कायल हो चला। व्यक्ति हो या संस्था सबके साथी और सहारा होकर सदा सर्वरूप ने साथ निभाया और किसी ने भी उन्हें दुश्मन या हितैषी के रूप में ना पाया। आर्य रत्न पन्ना लाल आर्य एक साधारण परिवार और साधारण व्यापार से ऊपर उठकर असाधारण अनगिनत परिवार और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के आधार होकर समाज सेवा का व्रत आजीवन निभाया। महर्षि दयानंद के उस व्यापक विचारधारा को “सबकी उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए बल्कि केवल अपनी उन्नति से संतुष्ट नही रहना चाहिए” को व्यवहारिक रूप प्रदान किया। समृद्धि के ऊंचाई पर पहुंच कर भी मानवता के साथ बिना किसी बड़ी गार्ड के कहीं भी पहुंचना उनका सहज स्वभाव था और उनकी ज़रूरतों को जानकर पूरा करना उनकी खास पहचान रही है।आर्य समाज का जीवन जिधर से पढ़ेंगे प्रेरक ही प्रतीत होती है। आर्य समाज मुजफ्फपुर के इकलौते व्यक्तित्व थे जिन्होंने सर्व सम्मति से प्रधान के रूप में 25 वर्ष से अधिक की अवधि पूर्णरूप जीवन के अंतिम क्षण तक प्रधान पद को गौरवान्वित किया। उनके सभी कार्यों में उनकी धर्म पत्नी कौशल्या देवी के साथ सम्पूर्ण परिवार सदा समर्पित रूप से साथ निभाता रहा।उनके जीवन के अमृत महोत्सव पर्व के अवसर पर तत्कालीन उप राष्ट्रपति भारत सरकार महामहिम भैरव सिंह शेखावत, राज्यपाल बिहार विनोद चंद्र पांडेय , महाकवि आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री , विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष आचार्य गिरिराज किशोर , शहर के विधायक विजेन्द्र चौधरी के अतिरिक्त अनेक प्रख्यात साहित्यकार, समाजसेवी तथा डॉ सुरेन्द्रनाथ दीक्षित, डॉ स्वर्ण किरण, राजेन्द्र प्रसाद सिंह, डॉ महेंद्र मधुकर, डॉ अवधेश्वर अरुण, डॉ शिवदास पांडेय, चंद्रमोहन प्रधान, डॉ शांति सुमन, डॉ नंद किशोर नंदन, डॉ सतीश चंद्र झा, डॉ रेवती रमन, जितेंद्र जीवन, डॉ रामप्रताप नीरज , डॉ पूनम सिंह, वर्तमान महामहिम गंगा प्रसाद, डॉ दीनानाथ , स्वामी अग्निवेश व अतिरिक्त अनेक प्रख्यात पुरुषों ने लोकहितैसी पुस्तक के माध्यम से उनके व्यक्तित्व पर सुप्रेरक प्रसंग एवं विचार व्यक्त किए  हैं। जो आज भी पढ़नीय है एवं अनुसरणीय हैं, जो आनेवाली पीढ़ी अपनाकर समाज सेवा के आदर्श को सफल तथा गौरान्वित कर सकते है। उनके विराट व्यक्तित्व वर्णन में शब्द छोटे तथा अपूर्ण परलक्षित होते है। काश उनके जैसा व्यक्तित्व पुनः दर्शनीय हो। 

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