प्लास्टिक कचरे से मुक्ति के लिए नगर निगम ने पहल की है। इससे डीजल व पेट्रोल बनेगा। मई से उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। जिले के कुढऩी प्रखंड के खरौना जयराम गांव में प्लांट लगाया जाएगा। इसी महीने काम शुरू होगा। इस पर 25 लाख खर्च होंगे। इसके लिए जिला उद्योग केंद्र से कंपनी को ऋण मिल चुका है। शुरुआती दौर में कंपनी में 25 से 30 लोगों को रोजगार मिलेगा।
मुजफ्फरपुर स्थित ग्रुप ग्रेविटी एग्रो एंड एनर्जी नामक कंपनी अपने प्लांट में एक हजार किलोग्राम प्लास्टिक कचरे से करीब 700 लीटर पेट्रोल या 850 लीटर डीजल तैयार करेगी। वह निगम से आठ रुपये प्रति किलोग्राम की दर सेे प्लास्टिक कचरा खरीदेगी। 70 रुपये प्रति लीटर की दर से डीजल की आपूर्ति करेगी। शुरुआती दौर में प्रतिदिन एक हजार किलोग्राम प्लास्टिक कचरे से उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। कंपनी को प्रति लीटर ईंधन बनाने में करीब 55 रुपये खर्च आएगा। डीजल व पेट्रोल तैयार करने के दौरान निकला अपशिष्ट अलकतरा के रूप में होगा, जिसका उपयोग सड़क निर्माण में हो सकेगा।
उत्तम क्वालिटी का होगा ईंधन
कंपनी के सीईओ पेट्रोलियम इंजीनियर आशुतोष मंगलम और उनकी टीम ने करीब तीन साल पहले यह तकनीक विकसित की थी। उनकी टीम को वर्ष 2018 में पीएमओ से नेशनल इनोवेशन अवार्ड मिल चुका है। कंपनी अपने इनोवेशन को अमेरिका में पेटेंट (यूनाइटेड स्टेट्स पेटेंट) करा चुकी है। कंपनी पहली बार मुजफ्फरपुर में उत्पादन करने जा रही है। आशुतोष के अनुसार प्लास्टिक डबल बांड हाईड्रो कार्बन होता है। उसमें हाइड्रोजन जोड़कर उसे सिंगल बांड ईथेन बनाया जाता है। ईथेन में क्लोरीन और सोडियम जोड़कर एथाइल क्लोराइड से ब्युटेन बनाया जाता है। ब्यूटेन में अगले स्तर पर ब्रोमीन और सोडियम जोड़कर ब्यूटाइल ब्रोमाइड बनाया जाता है। इस ब्यूटाइल ब्रोमाइड से आइसो ऑक्टेन बनाया जाता है।
प्रदूषण का स्तर कम रहेगा
आइसो ऑक्टेन को ही बीएस-6 ग्रेड का बायो फ्यूल कहा जाता है। यह उत्तम क्वालिटी का ईंधन होता है। आइसो ऑक्टेन को अलग-अलग तापमान और प्रेशर देकर आवश्यकतानुसार डीजल व पेट्रोल तैयार किया जाता है। ऑटोमोबाइल्स इंजीनियर ओसामा अकील का कहना है कि इस प्रकार के ईंधन में सल्फर की मात्रा ज्यादा होती है, लेकिन इसका बीएस-6 मानक का होना अच्छी बात है। इससे प्रदूषण का स्तर कम रहेगा। मुजफ्फरपुर के नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने कहा कि डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के दौरान प्लास्टिक कचरा अलग से लिया जाएगा। इसे कंपनी को बेचकर निगम को राजस्व की प्राप्ति होगी। साथ ही निगम की गाडिय़ों के लिए सस्ता ईंधन भी उपलब्ध होगा।
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