मां दुर्गा को समर्पित शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 3 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है। इस साल माता रानी पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश या घट स्थापना की जाती है। इस दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है।
नवरात्रि के प्रथम दिन सूर्योदय से लेकर दोपहर 03:17 बजे तक हस्त नक्षत्र व्याप्त रहेगा और उसके बाद चित्रा नक्षत्र प्रारंभ होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हस्त नक्षत्र में कलश या घट स्थापना करना अत्यंत शुभ माना गया है। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करना अत्यंत श्रेष्ठ व शुभ फलदायक मानी गई है।
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक के अनुसार, तीन अक्टूबर को शुभ चौघड़िया मुहूर्त सुबह छह बजे से सुबह 07:30 बजे तक रहेगा और उसके बाद सुबह 10:30 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक रहेगा। लेकिन राहुकाल दोपहर 01:30 बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक रहेगा। राहुकाल के समय कलश स्थापना करना उत्तम नहीं माना गया है।
इस साल शारदीय नवरात्रि में चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो रही है लेकिन नवमी तिथि का क्षय भी हो रहा है। जिससे नवरात्रि पूरे नौ दिन के होंगे। शारदीय नवरात्रि में मां का आगमन डोला यानी पालकी पर हो रहा है, जिसे अशुभ माना जाता है। इसकी वजह से दुर्घटनाएं, आपदाएं, भूस्खलन आदि घटनाओं में वृद्धि होती है। मां का प्रस्थान चरणा युद्ध यानी मुर्गे से होगा, इसे अशुभ माना जाता है। माता रानी के इस वाहन को अमंगलकारी माना गया है।
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