बिहार बाल भवन (किलकारी) जिला स्कूल छात्रावास, मुजफ्फरपुर में कठपुतली कार्यशाला प्रशिक्षक कठपुतली कलाकार सुनील सरला के निर्देशन में विलुप्त हो रहे लोककला कठपुतली का प्रशिक्षण बच्चों को दिया गया।
बच्चों ने खेल खेल में कठपुतली के साथ पर्यावरण के गीत, पौधारोपण, जल, जीवन, हरियाली पर चर्चा की। कठपुतली प्रशिक्षक सुनील सरला ने बताया कि भारत कठपुतली की मातृभूमि होने के बावजूद भी हमारे देश के लोगों को इस अद्भुत कला के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं हैं और न ही नई पीढ़ी पिछले कई वर्षों में कठपुतली कला को देखी हैं।
वक़्त के साथ कठपुतली कला में काफ़ी बदलाव हुए हैं। पिछले पचास से अधिक वर्षों में भारत में नए प्रकार के कठपुतली का खेल/पुतुल खेल और पुतुल रंगमंच के नए कलाकार सामने आए हैं। “कठपुतली एक समृद्ध और विविध इतिहास वाली एक कला है जो बच्चों के साथ साथ सभी उम्र के लोगो को पसंद आती है।” कठपुतली कला परिवारों के लिए शैक्षिक, व्यावहारिक अवसर प्रदान करते हुए उस इतिहास का जश्न मनाने का कार्य करती हैं।
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