भारतीय सेना में जवानों की भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना पर विपक्ष काफी हमलावर रहते है। लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने अग्निवीर योजना के मुद्दे को जोर-शोर के साथ जनता के बीच उठाया था. राहुल गांधी ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर उनकी सरकार आई तो वह अग्निवीर योजना को समाप्त कर देंगे। चुनावों के बाद राहुल गांधी की सरकार तो नहीं बनी, लेकिन खबरें आईं कि मोदी सरकार अब अग्निवीर योजना में कुछ बदलाव करने जा रही है. इस पर अब केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया सामने आई है. केंद्र सरकार ने इस तरह की खबरों का खंडन किया है और इनको फर्जी बताया है।
केंद्र सरकार ने साफ कहा है कि ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है. प्रेस सूचना ब्यूरो ने अपने स्पष्ट किया कि एक फर्जी व्हाट्सएप संदेश में दावा किया गया है कि अग्निपथ योजना को कई बदलावों के साथ समीक्षा के बाद ‘सैनिक सम्मान योजना’ के रूप में फिर से शुरू किया गया है, इसमें सेवा की अवधि को बढ़ाकर 7 साल करना, 60 प्रतिशत स्थायी कर्मचारी और बढ़ी हुई आय शामिल है. भारत सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है. जिस दिन इस स्कीम को लागू किया गया था तब से यह बात भी रक्षा मंत्रालय की तरफ से कही गई थी कि समय-समय पर इसको रिव्यू किया जाएगा. अगर कोई परिवर्तन करना हो तो उसे भी किया जाएगा।
बता दें कि अग्निपथ स्कीम को लागू हुए डेढ़ साल का वक्त हो चुका है. अग्निपथ योजना एक “टूर ऑफ़ ड्यूटी स्टाइल” योजना है, जिसे सितंबर 2022 में सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में कमीशन प्राप्त अधिकारियों से नीचे के रैंक के सैनिकों की केवल चार साल की भर्ती के लिए लागू किया गया था. इस प्रणाली के तहत भर्ती किए गए कर्मियों को अग्निवीर कहा जाएगा. शुरू से ही अग्निपथ योजना की आलोचना कर रहे विपक्ष ने लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान आक्रामक रूप से इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया. कांग्रेस ने केंद्र में सत्ता में आने पर इस योजना को खत्म करने का वादा किया।
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