दिवाली का पर्व धनतेरस से शुरू होता है। यह कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि है। इस दिन धनवंतरी और कुबेर जी और माता लक्ष्मी की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन प्रदोष काल में इन तीनों का पूजन किया जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरी अमृतकलश लेकर आए थे। धनतरेस के दिन खरीददारी को शुभ माना गया है। धनतेरस के दिन यम देवता, भगवान कुबेर के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन सोना-चांदी के सिक्के, आभूषण, बर्तन आदि खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। भगवान धन्वंतरि आरोग्यता के देवता हैं और इनकी पूजा-अर्चना करने से अच्छी सेहत और रोगों से मुक्ति मिलती है।
धनतेरस का पर्व प्रदोष व्यापिनी तिथि में मनाने का विधान है। इस दिन परिवार में आरोग्यता के लिए घर के मुख्य दरवाजे पर यमदेव देवता का ध्यान करके दक्षिण दिशा पर दीपक स्थापित करना चाहिए। इस दिन प्रदोष काल में ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः। मंत्र पढ़कर पूजन अर्चन करना चाहिए, जिससे परिवार में दीर्घायु और आरोग्यता बनी रहती है।
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