ओमप्रकाश दीपक
मुजफ्फरपुर। मौसम के बदले मिजाज से जिले भर के लोग आजिज आ गये हैं। क्या शहर-क्या गांव हर जगह जलजमाव है। अब लोग इससे मुक्ति पाना चाहते हैं। लेकिन, इन्द्रद्रव मानने को तैयार नहीं हैं। किसी समय शुरू हो जाते हैं, फिर थमने का नाम नहीं।
प्रकृति की इस मार से लोग पिछले तीन माह से जूझते आ रहे हंै। दो दिन पानी घटता है कि तीसरे दिन फिर मूसलाधार बारिश हो जाती है। फिर से सारा इलाका जलमग्न हो जाता है। पानी जाये तो कहां जाये निकलने का कोई ऐसा साधन नहीं बना है। शहर में तो नाला है। उस रास्ते पानी निकल भी जाता है। लेकिन गांव में तो कोई नाला है और नहीं पानी निकलने के लिए उपाय किये गये हैं।
नदी में पानी छोड़ने के लिए कोई सन साधन एवं उपाय आज तक नहीं किया गया है। बस सूर्यदेव की कृपा पर निर्भर है। जितने दिन धूप निकलेगी, पानी उतने दिन सूखेगा। शहर से जलजमाव निकासी के लिए वर्षों पूर्व फरदो नाला बनाया गया। इसके बाद जल निकासी के लिए दूसरा उपाय आज तक नहीं हुआ।
वहीं बूढ़ी गंडक नदी के आसपास इलाकों से जल निकासी के स्लुईस गेट तो बनाये गये। लेकिन बरसात होते ही उसे तीन से चार माह के लिए बंद कर दिया जाता है। वैसी स्थिति में पानी जाये तो कहां जाये। जून से सितम्बर तक नदी के जलस्तर में उफान रहता है।
इससे पहले स्लूइस गेट को नहीं खोला जा सकता है। जबतक की नदी के जलस्तर पेटी में न आ जाये। वैसी हालत में लोग भगवान का नाम लेकर जलजमाव से जूझते रहते हैं।
इस बार तो फरवरी माह से पानी होना शुरू हो गया, आज तक होता आ रहा है। कोई भी ऐसा नक्षत्र नहीं है जो झमाझम बारिश करके नहीं गया हो। अभी तो हथिया नक्षत्र बाकी है।
Be First to Comment